बच्ची के रेपिस्ट-हत्यारे की फांसी पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने दोषी का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने का दिया आदेश
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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने 11 साल की मासूम बच्ची से रेप और उसकी हत्या के दोषी की फांसी की सजा पर रोक लगा दी। दोषी ने अपने सहयोगी श्रमिक की बेटी की मासूम बेटी से घिनौनी हरकत की थी। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने दोषी जयप्रकाश तिवारी की उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में हमें लगता है कि दोषी अपीलकर्ता का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करवाना चाहिए। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया कि एम्स ऋषिकेश के मनोवैज्ञानिकों की उपयुक्त टीम दोषी जयप्रकाश का सुद्धोवाला जिला जेल में जाकर मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करेगी। कोर्ट ने कहा कि जेल प्रशासन दोषी की जांच कराने में पूरा सहयोग करेगा। दोषी की मूल्यांकन रिपोर्ट 25 अप्रैल तक कोर्ट में पेश होगी। उसके बाद कोर्ट इस मामले की सुनवाई 4 मई, 2022 को करेगा।
कोर्ट ने कहा जेल अथॉरिटी यह भी बताएगी की जेल में दोषी ने क्या काम किया। इसके अलावा उसके संबंध में प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया है। गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले दोषी का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कराने का आदेश दिया है। इस रिपोर्ट में कोर्ट देखेगा कि उसकी मानसिक स्थिति क्या है और क्या उसमें सुधार की गुंजाइश है, क्या उसे समाज में मुक्त छोड़ा जा सकता है।
क्या है मामला
सहसपुर थाना विकासनगर में जयप्रकाश ने मध्यप्रदेश के रहने वाले अपने सहकर्मी की बेटी से उस वक्त रेप किया जब वह मजदूरी करने गया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे आईपीसी की धारा 302, 201, 376, 377 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा अगस्त, 2019 में उसे दी गई मौत की सजा की जनवरी, 2020 में पुष्टि कर दी थी। हाईकोर्ट ने उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा था, अपीलकर्ता का अपराध इतना क्रूर है कि यह न केवल न्यायिक जागरूक बल्कि समाज के प्रति जागरूक मानस को भी झकझोरता है, यह मामला निश्चित रूप से दुर्लभ मामलों में से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है। इसमें मौत के अलावा कोई सजा नहीं दी जा सकती। इस फैसले के खिलाफ दोषी ने अपील की थी।