एफडी निवेशकों के लिए बड़ी खबर, एसबीआई रिसर्च ने कहा बढ़ सकती हैं दरें

 नई दिल्ली

अगर आप उन पारंपरिक निवेशकों में से हैं, जो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-2023 में घटनाओं के बाद बैंकों के ऊपर डिपाजिट रेट को बढ़ाने का बहुत बड़ा दबाव होगा। फिक्स्ड डिपॉजिट आपको एक फिक्स्ड (निश्चित) अवधि के लिए फंड इन्वेस्ट करने और फिक्स्ड ब्याज़ दर पर रिटर्न प्राप्त करने की सुविधा देता है।

वित्त वर्ष 2023 में होगा दबाव
एसबीआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है,"वित्त वर्ष 2012 में, स्माल सेविंग्स कलेक्शन बजट की राशि से 2 लाख करोड़ रुपये अधिक हो गए, और इसके परिणामस्वरूप शुद्ध उधारी 1.7 लाख करोड़ रुपये कम हो गई। चुनौती वित्त वर्ष 2023 में है, जिसमें शुद्ध उधारी 4.1 लाख करोड़ रुपए बढ़ेगी, जबकि वित्त वर्ष 22 की तुलना में स्माल सेविंग बचत ₹1.7 लाख करोड़ रुपए कम हो सकती है। अगर वित्त वर्ष 23 में ये संख्या सही होती है, तो बैंक जमा दरों पर बड़ा दबाव होगा, क्योंकि छोटी बचत दरें पहले से ही बैंक जमा दरों की तुलना में बहुत अधिक हैं।"

2021 की पहली तिमाही के बाद बचत योजनाओं में संशोधन नहीं
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ सौम्य कांति घोष ने 'रेपो दर में 20 बीपीएस की बढ़ोतरी शीर्षक वाली रिपोर्ट लिखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने Q1FY21 के बाद से छोटी बचत योजनाओं की दरों में संशोधन नहीं किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के दौरान छोटे जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए, सरकार ने Q1FY21 के बाद से छोटी बचत योजनाओं की दरों में संशोधन नहीं किया है। हालाँकि, RBI ने प्रमुख नीति रेपो दर को 115 बीपीएस से घटाकर 4.0% और रिवर्स रेपो दरों को 155 बीपीएस से घटाकर 3.35% कर दिया है। इसके साथ, बैंकों ने अपनी ब्याज दरों (जमा और उधार दोनों) को भी काफी कम कर दिया है।