नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। इसमें महंगाई भी एक मुद्दा है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दूसरे दल एलपीजी सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल की महंगाई को लेकर घेर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी योगी सरकार पर एलपीजी की कीमतों को लेकर हमलावर है। ऐसे में आइए देखें कि मोदी सरकार के कार्यकाल में घरेलू एलपीजी सिलेंडर किता महंगा हुआ या सस्ता?
कभी सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की इतनी थी कीमत
अगर मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल की बात करें तो दिल्ली में गैर-सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर जनवरी 2014 के मुकाबले 381.50 रुपये सस्ता है। वहीं मोदी सरकार के बनने से जस्ट पहले 1 मई 2014 से तुलना करें तो बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर दिल्ली में 29 रुपये सस्ता है, जबकि 1 मई 2014 को यह 928.5 रुपये था और आज 899.50 रुपये है। बता दें सिलेडर के रेट भले ही मनमोहन सरकार की तुलना में आज कम लग रहे हों, लेकिन सब्सिडी लेने वाले उपभोक्ताओं के लिए यह काफी महंगा पड़ रहा है। 1 जून 2014 को बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 905 रुपए प्रति सिलेंडर थी, जबकि सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 414 रुपए थी।
5 साल में यूपी में इतना महंगा हुआ सिलेंडर
अगर पिछले 5 सालों में यूपी में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों की बात करें तो कुल 167 रुपये की वृद्धि हुई है। हालांकि तब सब्सिडी भी मिलती थी। बता दें 1 मार्च 2017 को लखनऊ में गैर सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर करीब 775 रुपये का मिल रहा था आज इसकी कीमत 938 रुपये हो गई है।
सब्सिडी और बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस की दरों में शायद ही कोई अंतर
गैर-सब्सिडी वाले रसोई गैस की दरों में पिछले 6 अक्टूबर से राहत है। 6 अक्टूबर2021 को इसमें 15 रुपये का इजाफा हुआ था। बता दें सब्सिडी और बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस की दरों में शायद ही कोई अंतर हो। उद्योग सूत्रों ने कहा कि सब्सिडी वाले एलपीजी की कीमत एक अगस्त को नहीं बढ़ाई गई, क्योंकि तब संसद का सत्र चल रहा था और ऐसे में विपक्ष सरकार पर हमला कर सकता था।