नई दिल्ली
तेल और अनाज-सब्जियों जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा महंगाई ज्यादा बढ़ रही है। तेल और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से पारिवारिक बजट पर न केवल सीधे असर पड़ता है बल्कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दबाव भी बनता है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से होम लोन की किस्त चुका रहे लोगों पर प्रमुख रूप से प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।
निवेशकों पर असर
निवेश पर कम ब्याज दर से पारंपरिक निवेशक प्रभावित होते हैं, जो सामान्यतया फिक्स्ड डिपॉजिट या अन्य सुरक्षित संपत्तियों में निवेश करते हैं। जब ब्याज दरें कम थी तब निवेशकों को अवधि के आधार पर 4.5 फीसदी से छह फीसदी तक का ब्याज मिल रहा था। हालांकि, महंगाई दर में बढ़ोतरी के कारण वास्तविक ब्याज दर नकारात्मक हो गई। उदाहरण के लिए- कोई ऊंचे कर स्लैब वाले निवेशक के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना समझदारी नहीं है क्योंकि कर की अदायगी के बाद उसे 3.1 से 4.1 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा, जोकि सात फीसदी की खुदरा महंगाई से काफी कम है।
नौकरीपेशा पर असर
महंगाई से निपटने के लिए सरकारी और औपचारिक क्षेत्र में अच्छी तरह से संरचित एक व्यवस्था बनी हुई है। इसके तहत महंगाई दर बढ़ोतरी से कर्मचारियों की खरीदारी क्षमता में आने वाली कमी की महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के जरिए भरपाई की जाती है। हालांकि, जो लोग अनौपचारिक क्षेत्र के जरिए कमाई करते हैं, उन पर महंगाई की ज्यादा मार पड़ती है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है आरबीआई
आने वाले समय में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। आठ अप्रैल को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसके संकेत दिए थे। दास ने कहा था कि अब वृद्धि के बजाए महंगाई के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने को प्राथमिकता देनी होगी।
महंगाई दर का अनुमान भी बढ़ाया
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खुदरा महंगाई दर के अनुमान में बढ़ोतरी की है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई के अनुसार, पहली तिमाही में यह 6.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में पांच प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रहेगी।
महंगाई की मार से ऐसे बचें
निवेश करने से पहले ब्याज आदि के बारे में अच्छी तरह से जानकारी जुटाएं।
यह सुनिश्चित करें कि निवेश पर खुदरा महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न मिले।
आज के समय में सात प्रतिशत से कम ब्याज देने वाले उपकरणों में निवेश समझदारी नहीं है। पारंपरिक तौर-तरीकों के बजाए निवेश पोर्टफोलियो में इक्विटी को शामिल करें। हालांकि, इसमें जोखिम का सामना करना पड़ेगा।
ज्यादा रिटर्न के लिए कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। निवेश से पहले कंपनियों की क्रेडिट रेटिंग, जोखिम की जानकारी कर लें।