नई दिल्ली
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में आज 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार को जीएसटी परिषद की अहम बैठक होगी। इसमें जीएसटी की दरें घटाने पर भी फैसला हो सकता है। बताया जा रहा है कि जीएसटी की 12 और 18 फीसदी की दरों का विलय कर एक दर बनाई जा सकती है। काफी समय से दोनों टैक्स स्लैब को एक करने की मांग उठ रही है। वहीं, टेक्सटाइल और जूतों पर पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी जीएसटी लगने जा रहा है। राज्य सरकारों से लेकर इन क्षेत्रों स जुड़े उद्योग और कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं। इन सबके बीच लोगों को अब भी उम्मीद है कि पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आएंगे, हालांकि आज की बैठक में इस पर चर्रचा होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
मंत्री समूह ने भी की है सिफारिश
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री समूह ने भी जीएसटी दरें घटाने को लेकर अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपी है। इसमें टैक्स स्लैब को मिलाने के साथ बिना जीएसटी वाले कुछ उत्पादों को कर के दायरे में लाने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा फिटमेंट कमेटी, जिसमें राज्यों और केंद्र के कर अधिकारी शामिल हैं, ने भी स्लैब और दरों में बदलाव की सिफारिशें की हैं। अभी जीएसटी की दर 5, 12, 18 और 28 फीसदी है। वहीं, विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर ऊंचे स्लैब के ऊपर उपकर भी लगाया जाता है।
टेक्सटाइल और जूतों पर 1 जनवरी से 12 फीसदी जीएसटी
जीएसटी काउंसिल की बैठक में कपड़ों पर जीएसटी दर बढ़ाने का मुद्दा छाया रह सकता है। दरअसल, एक जनवरी 2022 से टेक्सटाइल और जूतों पर पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी जीएसटी लगने जा रहा है। राज्य सरकारों से लेकर इन क्षेत्रों स जुड़े उद्योग और कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इसे देखते हुए जीएसटी दर बढ़ाने का फैसला टल सकता है। परिषद की 17 सितंबर को हुई पिछली बैठक में फुटवियर एवं कपड़ों पर जीएसटी दर संशोधित करने का फैसला लिया गया था।
कपड़ा सेक्टर पर जीएसटी दर बढ़ाने का विरोध
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ गुरुवार को हुई बजट-पूर्व बैठक में भी कई राज्यों ने कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी दर बढ़ाए जाने का मुद्दा उठाते हुए इस पर विरोध जताया। गुजरात ने कपड़ा उत्पादों पर बढ़ी हुई दर को स्थगित करने की मांग रखी। वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बैठक में कहा कि इससे पूरे टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भारी नुकसान होगा। साथ ही यह फैसला आम आदमी के अनुकूल नहीं है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल पर पांच फीसदी ही जीएसटी लगना चाहिए। इस मांग का पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों ने भी समर्थन किया है।
राज्यों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था आगे बढ़ाने की मांग उठाई
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ गुरुवार को बजट पूर्व बैठक में राज्यों ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत राजस्व की क्षति पूर्ति की व्यवस्था पांच साल के लिए बढ़ाने की मांग की। जीएसटी प्रणाली लागू होने पर राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए जून 2022 तक क्षतिपूर्ति व्यवस्था लागू की गई है। अब राज्य इसे पांच साल तक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
इस बैठक में शामिल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद राज्यों को राजस्व क्षति हो रही है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक पूरा मुआवजा नहीं दिया है। लिहाजा जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को अगले पांच साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु ने भी इसका समर्थन किया और केंद्र की तरफ से प्रायोजित योजनाओं में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की।