GST: राज्यों में 2 लाख का सोना ले जाने के लिए ई-वे बिल हो सकता है जरूरी, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में नहीं लाने की ये है मजबूरी

नई दिल्ली
 जीएसटी काउंसिल की आज से दो दिवसीय बैठक चंडीगढ़ में शुरू हो रही है। इसमें दो लाख रुपये एवं उससे अधिक मूल्य के सोने/कीमती पत्थरों की राज्यों के बीच आवाजाही के लिए ई-वे बिल और ई-चालान अनिवार्य किया जा सकता है। यह व्यवस्था सालाना 20 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए होगी। वर्तमान में 50 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले व्यवसायों को बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) लेनदेन के लिए अनिवार्य रूप से ई-चालान जेनरेट करना होता है। हालांकि, यह शर्त सोने और कीमती पत्थरों पर लागू नहीं होती है। पिछले कुछ महीनों में जीएसटी संग्रह में वृद्धि हुई है, लेकिन यह वृद्धि लंबी अवधि के झटके के बाद आई है, खासकर महामारी द्वारा बनाई गई मंदी के कारण।

इसके अलावा बैठक में राज्यों को क्षतिपूर्ति की व्यवस्था के साथ कुछ वस्तुओं की टैक्स रेट में बदलाव और छोटे ई-कॉमर्स सप्लायर्स को पंजीकरण नियमों में राहत देने जैसे मुद्दों पर विचार हो सकता है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में राज्यों के वित्तमंत्रियों के समूह की ओर से दो रिपोर्ट पेश की जाएंगी।

पेट्रोल-डीजल और शराब क्यों हैं जीएसटी के बाहर
जब से जीएसटी लागू हुआ है, शराब, पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में होते तो आज पेट्रोल-डीजल 70 रुपये लीटर के करीब होते। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा। क्योंकि राज्य सरकारों का जीएसटी क्षतिपूर्ति के बाद टैक्स कलेक्शन का एक बड़ा जरिया है। राज्य सरकारें कभी इसके लिए सहमत नहीं होंगी।

बैठक में किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
ई-वाहनों के लिए जीएसटी दरों पर स्पष्टीकरण जारी किया जा सकता है। इसमें बैटरी से लैस या बिना बैटरी के ई-वाहन पर 5 फीसद जीएसटी लगाने पर चर्चा हो सकती है।
ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 फीसद जीएसटी लगाने पर विचार हो सकता है।
जीएसटी परिषद ई-कॉमर्स मंच का उपयोग करने के लिए छोटे व्यवसायों को अनिवार्य पंजीकरण मानदंडों से छूट दे सकती है।
 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले ई-कॉमर्स आपूर्तिकर्ताओं को कंपोजिशन योजना चुनने की अनुमति होगी।

 

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