नई दिल्ली
पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ खाने-पीने की चीजें महंगी होने से त्रस्त जनता एलपीजी (LPG Cylinder Price Today) के बढ़ते दाम से भी परेशान है। अभी बीते 7 मई को घरेलू एलपीजी (LPG) सिलेंडर 50 रुपये और महंगा हो गया। इससे देश के अधिकतर शहरों में एलपीजी सिलेंडर का भाव 1000 रुपये के पार पहुंच गया तो कुछ शहरों में 1100 के करीब है। पिछले एक साल में दिल्ली में घरेलू एलपीजी सिलेंडर 809 रुपये से 999.50 रुपये पर पहुंच गया।
कामर्शियल सिलेंडर 10 रुपये सस्ता
सात मई को एलपीजी के रेट में बदलाव की वजह से घरेलू सिलेंडर जहां 50 रुपये महंगा हुआ तो वहीं, 19 किलो वाला कामर्शियल सिलेंडर करीब 10 रुपये सस्ता हुआ। हालांकि एक मई को इसमें करीब 100 रुपये का इजाफा हुआ था। वहीं, मार्च को 19 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत दिल्ली में केवल 2012 रुपये थी। 1 अप्रैल को यह 2253 और 1 मई को बढ़कर 2355 रुपये पर पहुंच गया। पिछले एक साल में कामर्शियल सिलेंडर के रेट में 750 रुपये की वृद्धि हुई है।
मोदी सरकार में कितना बढ़ा सिलेंडर का रेट
जनवरी 2014 को दिल्ली में 14.2 किलो वाला नॉन-सब्सिडी घरेलू एलपीजी सिलेंडर 1241 रुपये में मिल रहा था। इसपर लोगों को सब्सिडी भी मिल रही थी। अब एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी नहीं आ रही और कीमत 1000 रुपये हो गई है। बता दें सरकार पर सब्सिडी बोझ घटा है क्योंकि इस दौरान एलपीजी की खुदरा कीमतों में वृद्धि जारी रही। देश के 39 करोड़ से अधिक घरों के रसोई घरों में खाना पकाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल हो रहा है। अगर केवल गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर की बात करें तो अभी यह मनमोहन सरकार की तुलना में 241 रुपये सस्ता है। हालांकि, जिन्हें सिलेंडर पर करीब 300 से 400 रुपये सब्सिडी मिलती थी उनके लिए यह रेट बहुत अधिक है। अगर कामर्शियल सिलेंडर की बात करें तो एक जनवरी 2014 को दिल्ली में इसका रेट 2013.5 रुपये था और आज की तारीख में यह 2346 रुपये है। यानी करीब 8 साल में केवल 332 रुपये की वृद्धि।
बता दें सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों की तरफ से गैस सब्सिडी का भुगतान वित्त वर्ष 2021-22 के पहले नौ महीनों में घटकर सिर्फ 2,706 करोड़ रुपये रहा जबकि 2018-19 में यह 37,585 करोड़ रुपये था। सूचना के अधिकार कानून के तहत किए गए एक सवाल से यह जानकारी सामने आई है। आरटीआई के जवाब से पता चला है कि वर्ष 2018-19 में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल विपणन कंपनियों ने गैस सब्सिडी के मद मे 37,585 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान यह 2,706 करोड़ रुपये ही रहा है।