नई दिल्ली
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से महंगाई और ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसको देखते हुए केंद्र ने अपने सरकारी उपक्रम भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के सार्वजनिक निर्गम प्रस्ताव (आईपीओ) मूल्यांकन में 30 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है। इसका मतलब यह है कि आईपीओ में निवेशकों को एलआईसी का शेयर 30 प्रतिशत तक सस्ता मिल सकता है। इस कदम से सरकार को ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को लुभाने में मदद मिलेगी।
एलआईसी की प्रवर्तक केंद्र सरकार ने शुरू आरंभिक प्रस्ताव में आईपीओ के लिए कंपनी का मूल्यांकन 16 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था। इस मामले से वाकिफ दो सूत्रों के अनुसार, अब सरकार इसका मूल्यांकन 11 लाख करोड़ रुपये के आसपास रखना चाहती है। इस कटौती का मकसद निवेशकों के पास पैसों की उपलब्धता बनाए रखना है ताकि शेयरों के सूचीबद्ध होने के बाद वे और खरीदारी कर सकें।
इस कटौती का दूसरा उद्देश्य यह है कि सरकार देश की सबसे बड़ी शेयर बिक्री में पहली बार निवेश करने वालों को नाराज नहीं करना चाहती है। इसमें बड़ी संख्या में एलआईसी के ऐसे पॉलिसीधारक हैं जिन्होंने निवेश के लिए डीमैट खाता खुलवाया है। इसी साल फरवरी में आईपीओ के लिए मसौदा दस्तावेज जमा करते समय एलआईसी का सूचीबद्ध मूल्य एम्बेडेड मूल्यांकन 5.39 लाख करोड़ रुपये का तीन गुना रहने का अनुमान जताया गया था।
कम कीमत के हिसाब से तय होगा प्राइस बैंड
एक सूत्र के मुताबिक, पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय और इसके अधीन आने वाले निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने निवेश बैंकर्स के साथ बैठक की थी। इसमें निवेश बैंकर्स से एलआईसी के शेयर का प्राइस बैंड कम कीमत के अनुसार तय करने के लिए कहा गया था। वित्त मंत्रालय और दीपम के अधिकारियों ने प्राइस बैंड एम्बेडेड मूल्यांकन 5.39 लाख करोड़ के दोगुना के आधार पर तय करने को कहा था।