नई दिल्ली
सरकार दो और सरकारी कंपनियों की असेट बेंचने के लिए अपनी कोशिशें और तेज करेगी। पहली नीलामी में कमजोर प्रतिक्रिया मिलने के बाद सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार इकाइयों भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (MTNL) की गैर-प्रमुख संपत्तियों की फिर से बोली लगाएगी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पहले नीलामी के दौरान वास्तव में ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिला। मुंबई में कुछ फ्लैटों के लिए कुछ बोलियां आई हैं लेकिन राजपुरा और हैदराबाद में जमीन पर कोई बोली लगाने वाला नहीं आया है। इस कारण फिर से बोली लगाई जाएगी।
बीएसएनएल और एमटीएनएल की छह संपत्तियों को बेंचने का लक्ष्य
सरकार ने पिछले साल नवंबर में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के माध्यम से MSTC पोर्टल के माध्यम से बीएसएनएल और एमटीएनएल की छह संपत्तियों को 970 करोड़ रुपए के आधार मूल्य पर बिक्री के लिए रखा था। बीएसएनएल की संपत्तियां हैदराबाद, चंडीगढ़, कोलकाता और भावनगर में लगभग 660 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य पर थीं, जबकि मुंबई के गोरेगांव के वसारी हिल में स्थित एमटीएनएल की संपत्तियां लगभग 310 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य पर लिस्टेड थी। एमटीएनएल और बीएसएनएल गैर-प्रमुख संपत्तियों का मुद्रीकरण 2019 के अंत में केंद्र द्वारा घोषित 68,000 करोड़ रुपए की योजना (दोनों कंपनियों को बचाने) का हिस्सा है। सरकार ने सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड, जेएलएल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स (इंडिया), कुशमैन एंड वेकफील्ड और नाइट फ्रैंक को बिक्री प्रक्रिया के लिए सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है।
कई अन्य कंपनियों की गैर-प्रमुख संपत्तियों को बेंचने का लक्ष्य
MTNL दिल्ली और मुंबई में सेवाएं प्रदान करती है तो बीएसएनएल इन दोनों शहरों को छोड़कर बाकी पूरे देश में सेवाएं देती है। पहली नीलामी निराशाजनक रही है लेकिन सरकार को लगता है पोर्टल का उपयोग अन्य कंपनियों की गैर-प्रमुख संपत्ति बेचने के लिए भी किया जा सकता है। सरकार सार्वजनिक उपक्रमों की गैर-प्रमुख संपत्तियों को बेचने के लिए एमएसटीसी प्लेटफॉर्म का उपयोग करेगी, जिसका समन्वय दीपम द्वारा किया जाएगा। इसके जरिए बीईएमएल और शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जैसे अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की परिसंपत्तियों को बेचा जा सकता है, रणनीतिक विनिवेश के लिए उनकी गैर-प्रमुख संपत्तियों को चिन्हित किया जा चुका है। 6 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत केंद्र सरकार ने संबंधित कई परियोजनाओं की भी पहचान की है।
राजस्व बढ़ने पर नजर
यहां तक की अगर सरकारी कंपनियों का विनिवेश नहीं भी किया जा रहा तो भी सरकार गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने या पूंजीगत व्यय के लिए राजस्व उत्पन्न करने, कर्ज कम करने और दक्षता में सुधार करने के लिए उन्हें बेचने और बेचने के लिए जोरदार जोर दे रही है। DIPAM ने इस बात की वकालत की है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को संबंधित मंत्रालयों के साथ अपने समझौता ज्ञापन में परिसंपत्ति मुद्रीकरण और बाजार पूंजीकरण में सुधार शामिल करना चाहिए। अधिकांश राज्य-संचालित संस्थाओं के पास बड़े कॉर्पोरेट कार्यालय, आवास और भूमि बैंक हैं जिनकी मुख्य संचालन के लिए आवश्यकता नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, भारतीय रेलवे के पास अपने स्टेशनों के आसपास काफी जमीन है।