थोक महंगाई दर 5 महीने के निचले स्तर पर, जुलाई में 13.93% रही

नई दिल्ली
 खुदरा महंगाई दर में गिरावट के बाद थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (WPI based Inflation Rate) में भी कमी आई है। महंगाई दर गिरावट के साथ 14 प्रतिशत के स्तर से नीचे आ गई। एक महीने पहले थोक महंगाई दर 15 प्रतिशत के पार थी। थोक महंगाई दर में ये गिरावट खाद्य महंगाई में आई कमी की वजह से देखने को मिली है। जुलाई महीने में होलसेल महंगाई दर घटकर 13.93 फीसदी पर आ गई है। इससे पहले जून में ये 15.18% पर थी जबकि मई, 2022 में थोक महंगाई दर 15.88 फीसदी के लेवल पर थी। पांच महीने के सबसे निचले स्तर पर थोक महंगाई दर आ गई है।
खाने-पीने की वस्तुओं के दाम घटे

WPI का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय है। ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। यदि थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक उच्च रहता है, तो प्रड्यूसर इसे कंज्यूमर्स को पास कर देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कर सकती है, क्योंकि उसे भी सैलरी देना होता है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।