रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले के अंदरूनी इलाके फुंडरी में इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण का काम चल रहा है। इस पुल निर्माण काम का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण के विरोध में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के सदस्य पिछले 14 दिनों से राज्य की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। उनका कहना है कि यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। यहां पुल निर्माण से जल-जंगल-जमीन की लूट आसान हो जाएगी। इसलिए लगातार आदिवासी समुदाय के लोग विरोध में उतरे हुए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि बिना ग्राम सभा की अनुमति से नदी पर पुल बनाने का काम किया जा रहा है। इस काम को बंद किया जाए। दरअसल इंद्रावती नदी पर पुल के बनने से अबूझमाड़ के ग्रामीण जिला और ब्लॉक मुख्यालय जुड़ जाएंगे। आदिवासी समुदाय के नेता लालसु नोगोती ने कहा कि यहां छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के 20-25 गांवों के लोग रहते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी यहां बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।
इसलिए ऐसे में इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण सिर्फ 'जल-जंगल-जमीन' की लूट के लिए हैं। आदिवासी समुदाय के लोग वहां लगातार 4 जनवरी से ही विरोध कर रहे हैं। आदिवासी समुदाय के नेता लालसु नोगोती ने कहा कि बुनियादी सुविधाएं के आभाव में हमारा इरादा है कि अनिश्चितकाल के लिए विरोध करें।एटापल्ली के सहायक कलेक्टर शुभम गुप्ता का मानना है कि विरोध नहीं होना चाहिए । उनका कहना है कि लोगों को पहले यह जान लेना चाहिए कि पुल निर्माण क्यों जरूरी है। शुभम गुप्ता ने कहा कि जहाँ तक मुझे पता है, यह छत्तीसगढ़ के क्षेत्र में बनाया जा रहा है।
इससे महा-छत्तीसगढ़ सीमा पर लोगों को आने-जाने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि निर्माण रोकना सही है। हम लोगों से बात करेंगे और इस बात पर जोर देंगे कि पुल क्यों महत्वपूर्ण है।इंद्रावती नदी पर कुल चार पुल प्रस्तावित थे। जिनमें से एक दंतेवाड़ा जिले के पाहुरनार का पुल बन चुका है। CM भूपेश बघेल ने पाहुरनार के पुल का उद्घाटन भी कर दिया है। इसके अलावा बड़े करका घाट, फुंडरी समेत एक अन्य जगह पुल निर्माण का काम चल रहा है। इंद्रावती नदी पर पुल ना होने की वजह से ग्रामीण लकड़ी की छोटी डोंगी से इंद्रावती नदी को पार करते थे। पुल बनने के बाद ग्रामीणों को राहत मिलेगी।