‘मेरी माटी मेरा देश अभियान’ चरणबद्ध संपन्न होगा। प्रत्येक घर के आंगन से मिट्टी का संकलन कर प्रत्येक गांव का एक कलश पूर्ण होगा। जिन घरों में मिट्टी की उपलब्धता नहीं है वे परिवार रोली-अक्षत् के माध्यम से अपनी श्रद्धा प्रकट कर सकेंगे। गांव में एकत्रित होकर सामूहिक कार्यक्रम, विद्यालय में स्वतंत्रता सेनानियों का फलक लगाना, पंच प्रण की शपथ एवं 75 वृक्षों का रोपण कर अमृत वाटिका तैयार करना है | गाँव से सभी कलश विकास खंड पर आएंगे। विकासखंड के उपरांत प्रदेशों की राजधानी तदोपरांत 29-30 अक्टूबर को दिल्ली में सामूहिक कार्यक्रम एवं अमृत वाटिका का निर्माण होकर कार्यक्रम की पूर्णता होगी। युवा, खेल, संस्कृति, शिक्षा एवं पर्यावरण मंत्रालय मिलकर कार्यक्रम को संपन्न करेंगे। भारतीय जनता पार्टी के असंख्य कार्यकर्ता, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगतप्रकाश नड्डा जी के नेतृत्व में कार्यक्रम की सफलता के लिए सहभागी होंगे। प्रधानमंत्री जी के निर्देशन में अनेकों सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं अपनी सहभागिता के माध्यम से देश भर में देशभक्ति का वातावरण निर्माण करने में सहायक होंगी |
देश की आजादी के आंदोलन के साथ जनसामान्य को जोड़ने के लिए हमारे महापुरषों के नेतृत्व में अनेकों आंदोलन हुए। 1905 में बंग-भंग को समाप्त करने के लिए रक्षाबंधन को सामूहिक मनाना इसी प्रकार का आन्दोलन था। महात्मा गाँधी जी के द्वारा आयोजित जंगल सत्याग्रह, भारत छोड़ो, चरखा एवं स्वदेशी जैसे आन्दोलनों ने समाज को आजादी के के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। जिनके कारण भारत का बच्चा-बच्चा देश की आजादी प्राप्त करने के लिए प्राण-प्रण से तैयार हो गया। स्वतंत्रता प्राप्ति देश के नागरिकों का लक्ष्य बन गया। दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के नेतृत्व ने भावी पीढ़ी के सम्मुख भविष्य के लिए कोई लक्ष्य नहीं रखा इस कारण हम दिशाहीन हुए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का वैशिष्टय है कि उन्होंने देश को एक विकसित भारत का लक्ष्य दिया। लक्ष्य पूर्ति के साधन के लिए तिरंगा यात्रा एवं मेरी माटी- मेरा देश जैसे कार्यक्रम दिए, जिसके कारण संपूर्ण देश लक्ष्य प्राप्ति के लिए सक्रिय हो गया।जिसका परिणाम आर्थिक, शैक्षिक, विज्ञान एवं खेल सहित सभी क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री का स्वछता अभियान सिंगापुर के 1968 के “Keep Singapore Clean” अभियान का स्मरण कराता है।
कोई भी देश अपनी संस्कृति अपने महापुरुषों, अपने देश के बलिदानी अमर सेनानियों से प्रेरणा लेकर ही आगे बढ़ता है। हमारे देश की इस पवित्र मिट्टी में उन बलिदानियों के बलिदानी जीवन की सुगंध आती है। इसका कण – कण पवित्र है। इस देश को वैभव प्रदान करने वाले महापुरुष इसी में खेल कर बड़े हुए हैं। हमारे शरीर के अन्दर का रक्त एवं मांस- मांसपेशियां इसी के पवित्र अन्न से बनी है| हम को प्राण वायु इसी से प्राप्त होती है। यही हमारा पालन-पोषण करती है। इसलिए तो कवि ने सुजलां सुफलां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी कह कर इसकी वंदना की है। अखाड़े का पहलवान इसकी मिट्टी से अपने को पवित्र करता है। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसका कंकण-कंकण शंकर बताया है। 140 करोड़ भारतवासियों को जोड़ने वाली यही हमारी भारत माँ है, जियेंगे इसी के लिए एवं मरेंगे भी इसी के लिए। यही भाव देश के नागरिको में यह अभियान जगायेगा। आओ हम सभी इस अभियान में सहभागी होकर भारत को विकसित भारत बनाने का संकल्प लें।
(लेखक – राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री भाजपा हैं।)
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