प्रयागराज
यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में 30 प्रतिशत कटौती वाले पाठ्यक्रम से सवाल पूछ लिया गया। कम्प्यूटर के प्रश्नपत्र में तो एक ऐसा सवाल पूछ लिया जो पाठ्यक्रम में ही नहीं है। बोर्ड ने कोरोना के कारण सभी विषयों के पाठ्यक्रम में 30-30 प्रतिशत की कटौती की थी। छात्रों ने ट्विटर पर इसकी शिकायत की तो बोर्ड के अधिकारी हरकत में आए। अब बीच का रास्ता निकाला जा रहा है ताकि छात्र-छात्राओं का नुकसान न हो। सोमवार को शाम की पाली में हाईस्कूल कम्प्यूटर का पेपर था। 70 नंबर के पेपर में आठ अंकों के प्रश्नसंख्या 08 ह्यसी-भाषा में फाइल हैडलिंग या प्वाइंटर्स में से किसी एक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
इस प्रश्न को देखकर छात्र-छात्राएं चकरा गए। क्योंकि बोर्ड ने पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत की जो कटौती की थी उसमें फाइल हैडलिंग टॉपिक था और प्वाइंटर्स तो पाठ्यक्रम में ही नहीं है। प्रश्नसंख्या 3 (ख) में दो नंबर का सवाल पूछा था कि लीनक्स में एक्स-विंडोज क्या होता है जबकि यह टॉपिक भी 30 प्रतिशत कटौती में था। 24 मार्च को आयोजित हाईस्कूल हिन्दी की परीक्षा में भी पांच प्रश्न ऐसे थे जो 30 प्रतिशत कटौती वाले हिस्से से पूछे गए थे।
प्रयागराज। 23 मार्च से शुरू हुई यूपी बोर्ड की परीक्षा में 10वीं और 12वीं का पहला पेपर हिन्दी विषय का था लेकिन प्रदेश में 4.18 लाख छात्र-छात्राएं परीक्षा से पहले ही हार गए। इसमें 12725 छात्र-छात्राएं प्रयागराज के रहे।
परीक्षा में प्रदेश के 51,92,689 छात्र-छात्राओं को शामिल होना था लेकिन हिन्दी में एकसाथ सवा चार लाख से अधिक छात्र-छात्राओं के परीक्षा छोड़ने के पीछे कई कारण हैं। हिन्दी शिक्षकों, प्रकाशकों से बातचीत में जो महत्वपूर्ण पहलू सामने आए हैं उस पर यूपी बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति को विचार करना चाहिए। सबसे प्रमुख कारण है, कि जब 10वीं में खंडकाव्य और 12वीं में नाटक की पुस्तकों का प्रकाशन ही नहीं होता तो उसके प्रश्न किस आधार पर पूछे जाते हैं। सर्वार्य इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मुरारजी त्रिपाठी ने बताया कि आशा थी कि पिछले साल की तरह परीक्षा नहीं होगी इसलिए जो गंभीर नहीं थे उन्होंने परीक्षा नहीं दी। हिन्दी प्रवक्ता कपिल देव शर्मा, प्रवक्ता डॉ कृपाशंकर ने कहा खंडकाव्य की पुस्तकों का प्रकाशन होना चाहिए।
हिन्दी-कम्प्यूटर में 30 कटौती वाले पाठ्यक्रम से पूछा सवाल
12वीं में छह और 10वीं में नौ खंडकाव्य
12वीं में प्रदेश के सभी जिलों के छह खंडकाव्य पाठ्यक्रम में शामिल हैं। इसमें मुक्तियज्ञ, रश्मिरथी, त्यागपथी, अलोकवृत्त, सत्य की जीत और श्रवण कुमार शामिल है। जिलों का निर्धारण 50 साल पहले किया गया था। इसी तरह 10वीं में नौ खंडकाव्य पाठ्यक्रम में शामिल हैं। इसमें मुक्तिदूत, ज्योति जवाहर, अग्रपूजा, मेवाड़ मुकुट, जय सुभाष, मातृभूमि के लिये, कर्ण, कर्मवीर भरत और तुमुल शामिल है। यूपी बोर्ड की पुस्तकों के प्रकाशक आलोक अग्रवाल का कहना है कि खंडकाव्य की पुस्तकों का प्रकाशन बिल्कुल बंद है। पुराना स्टॉक है वह भी नहीं बिकता। गाइड के प्रश्न से लोग काम चला लेते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की संख्या सबसे कम
हिन्दी के पेपर में बोर्ड की विषयों की अपेक्षा वस्तुनिष्ठ यानी एक नम्बर वाले प्रश्नों की संख्या मात्र 10 होती है। इसमें हिन्दी साहित्य के इतिहास का भाग अब शामिल नहीं हो रहा है।
2021 में 3.53 लाख ने छोड़ी थी परीक्षा
यूपी बोर्ड की 2021 में हिन्दी विषय में 3.53 लाख छात्र-छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी थी। जबकि 10वीं और 12वीं में 7.97 लाख छात्र-छात्राएं हिन्दी में फेल हो गए थे।