योगी मंत्रिमंडल के सामने होंगी कई चुनौतियां, पूरे करने होंगे ये वादे

 लखनऊ

योगी राज 2.0 का शुक्रवार को भारी-भरकम मंत्रिमंडल के शपथग्रहण से साथ आगाज़ हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कार्यकाल पहले से अधिक आत्मविश्वास से भरा तो होगा ही। विकास का ‘बुलडोजर’ पहले से ज्यादा गति से चलने की उम्मीद है। इसके बावजूद प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने और यूपी को नंबर-एक की अर्थव्यवस्था बनाने व बेरजोगारी पर कड़ा वार करने की चुनौतियां भी हैं। उम्मीद है कि पहले कार्यकाल में पूरे जोश के साथ काम करने वाली सरकार दूसरे कार्यकाल में दोगुने जोश के साथ काम करेगी ताकि नए यूपी के निर्माण का प्रण पूरा हो सके।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले कार्यकाल में निसंदेह बिना रुके बिना थके काम किया। चाहे भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस हो या  कानून-व्यवस्था के खिलाफ पुलिस का बुलडोजर व महिला सुरक्षा…। सचिवालय और प्रशासनिक अमले की कार्यशैली में बदलाव हो या फिर हर जिले में दौरा कर समीक्षा करना…। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने पूरी शिद्दत के साथ काम किया है। युवाओं को नौकरी देने के मुद्दे पर पारदर्शिता पर सरकार का जोर रहा और महिला की सुरक्षा के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के संजीदा प्रयास हुए। 58 हजार बैंकिंग सखी की नियुक्त हुई और महिला स्वंय सहायता समूह के जरिये छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू करवा के लिए सहायता देकर महिलाओं को पैरों पर खड़ा करने की कोशिश गई। भाजपा को सियासी समर में इसका लाभ भी मिला।

भाजपा ने दावा किया है कि उसने अपने वर्ष 2017 के घोषणा पत्र के कमोबेश 90 फीसदी से ज्यादा काम पूरे कर लिए हैं। कहना गलत न होगा कि इस बार की सरकार का कामकाज एक बार फिर उसके घोषणा पत्र की कसौटी पर कसा जाएगा। भाजपा सरकार के पास चुनौती होगी कि कैसे वह घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करे। बजट विशेषज्ञ लहरी यादव कहते हैं-‘भाजपा के घोषणा पत्र में ऐसा कोई बड़ा वादा नहीं था, जिससे उसे संसाधन जुटाने में कोई बड़ी दिक्कतें पेश आएं लेकिन उसे चुनिंदा वादों जैसे वृद्धा पेंशन, निराश्रित महिला पेंशन के साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली पर लगातार हर साल नगदी खर्च करनी होगी। इसके लिए उसे संसाधन जुटाने होंगे।’
 

दरअसल, भाजपा ने किसानों को पांच साल तक सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली की बात की है। इसी के साथ वृद्धापेंशन को बढ़ा कर 1500 करने, निराश्रित महिलाओं को भी 1500 रुपये पेंशन के अलावा दिव्यांग पेंशन को भी 1500 किया जाना है। वित्त विशेषज्ञ कहते हैं कि इन योजनाओं के लिए हर पांच साल तक आवरति खर्च करना होगा। केवल निराश्रित महिलाओं को पेंशन पर 5500 करोड़ और वृद्धावस्था पर 10 हजार करोड़ के खर्च का अनुमान है। इस धनराशि की व्यवस्था एक चुनौती होगी।

आवारा पशुओं के साथ रोजगार बड़ी चुनौती
घोषणा पत्र में यूपी को सबसे ज्यादा एक्सप्रेस वे वाला राज्य बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था को नंबर-एक पर लाने के लिए निवेश को 10 लाख करोड़ तक बढ़ाने का वादा, साथ ही हर घर के एक व्यक्ति को रोजगार देने के लिए करीब 4 करोड़ रोजगार मुहैया कराना भी कड़ी परीक्षा होगी।  ग्रामीण इलाकों में आवारा पशुओं के साथ गोवंश संरक्षण व गौशालाओं का रखरखाव बड़े आर्थिक बोझ के रूप में सामने खड़ा है।

बड़ी घोषणाओं के लिए करनी होगी व्यवस्था
-मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना-25 हजार करोड़
-धन्वंति मेगा हेल्थ पार्क 30 हजार करोड़,
-महर्षि सुश्रुत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन 10 हजार करोड़
-वृद्धावस्था पेंशन–10 हजार करोड़
-निराश्रित महिला पेंशन–5500 करोड़