तनाव और डिप्रेशन, सामान्य न समझे  

मानव में रोगों के दो स्थान होते हैं –मन और शरीर और दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। यदि मन रुग्ण होता हैं तो उसका प्रभाव शरीर पर पड़ता हैं और यदि शरीर रुग्ण हैं तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं। शारीरिक कष्ट दिखाई देते हैं पर मन के रोग प्रायः दिखाई नहीं देते ,उनको लक्षणों से समझा जा सकता हैं। 
वर्तमान काल शरीरिक के साथ मानसिक रोग बहुत अधिक प्रचलन में हैं पर मानसिक रोगी अपने आपको रोगी न समझकर अन्य को गलत ठहराने की कोशिश करता हैं। उसके क्रिया कलापों से ही उसे उसके परिवारजन ,साथी ,निकट रहने वाला समझकर उसका इलाज़ कराने का प्रयास करता हैं। लक्षणों का महत्व के साथ चिकित्सा सुगम होने लगती हैं ,इसमें समय लगना स्वाभाविक हैं। 
मानसिक स्वास्थ्य इतना अछूता टॉपिक है कि लोग इसके बारे में बहुत मामूली जानते हैं। जो लोग मेंटल हेल्थ पर बात करते हैं, वो भी सिर्फ स्ट्रेस या डिप्रेशन तक ही सीमित रह जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दिक्कतें मानसिक बीमारियों का सिर्फ एक प्रकार है।
मेंटल प्रॉब्लम के प्रकार कितने हैं?जीवन में कभी न कभी हर इंसान मेंटल डिसऑर्डर से गुजरता है। मानसिक बीमारियों को डिसऑर्डर या विकार से परिभाषित किया जाता है। जिनमें मूड डिसऑर्डर, एंग्जायटी डिसऑर्डर, ईटिंग डिसऑर्डर, एडीएचडी, पीटीएसडी, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, सब्सटांस यूज डिसऑर्डर, साइकोटिक डिसऑर्डर मुख्य होते हैं।
इन विकारों के लक्षण ऐसे होते हैं कि आम लोगों को ये अजीब लगने लगते हैं। जागरुकता की कमी से लोग इसे मरीज का पागलपन या ड्रामा समझने लगते हैं।
मूड डिसऑर्डर के मुख्य लक्षण
अधिकतर समय उदास रहना
एनर्जी की कमी
किसी भी चीज में दिलचस्पी खो देना
आत्महत्या के विचार आना
बहुत कम या ज्यादा सोना
एंग्जायटी डिसऑर्डर के मुख्य लक्षण
बेचैनी होना
बहुत जल्दी थक जाना
ध्यान ना लगा पाना
चिड़चिड़ा हो जाना
सिरदर्द, मसल्स में दर्द
चिंता रहना
ईटिंग डिसऑर्डर के मुख्य लक्षण
खाना ना खाने के बहाने बनाना
बहुत ज्यादा डाइटिंग करना
अपने वजन के बारे में हमेशा चिंतित रहना
बार-बार वजन चेक करना
बहुत ज्यादा खाना
ज्यादा खाना ना मिलने पर परेशान हो जाना
पर्सनालिटी डिसऑर्डर के मुख्य लक्षण
अजीब बिहेवियर होना
व्यवहार का बार-बार बदलना
गंभीर मूड स्विंग होना
रिश्ते ना निभा पाना
सब्सटांस यूज डिसऑर्डर के लक्षण
मादक पदार्थों को ना छोड़ पाना
शराब को ना छोड़ पाना
नशीले पदार्थ ना मिलने पर पागलों की तरह बर्ताव करना
नशा करने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाना
साइकोटिक डिसऑर्डर के लक्षण
भ्रम में रहना
हमेशा उलझन में रहना
ऐसी चीजें देखना, सुनना या महसूस करना, जो होती नहीं हैं
तेज और लगातार बोलते जाना
बोलने में दिक्कत
एडीएचडी के मुख्य लक्षण
चीजें भूल जाना या खो देना
मैनेज ना कर पाना
कुछ सीख ना पाना
बहुत ज्यादा बोलना
अपने विचारों में खोना
पीटीएसडी के मुख्य लक्षण
किसी बुरे हादसे की बार-बार याद आना
बीती बातों से परेशान रहना
ट्रॉमा के बारे में बात ना करना
लोगों से दूरी बना लेना
चिकित्सा के लिए सबसे पहले सहानुभूति के साथ तनावरहित वातावरण तैयार करना उसके बाद उसे सहायोग देना,
लगातार रोग के अनुसार इलाज़ लेना।
आवश्यकतानुसार सहयोग देने पर धार्मिक साहित्य पढ़ने प्रोत्साहित करना।