वात, पित्त, कफ को संतुलित करने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय…

Ayurvedic Remedies To Balance Tridosha: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में शरीर को स्वस्थ बनाए रखना बड़ी चुनौती होती है। आज के दौर में व्यायाम के लिए समय निकालना और सेहतमंद आहार लेना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि रोज़मर्रा में छोटे-छोटे आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर आप अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं और कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं। यहां हम ऐसे 5 सुझाव लेकर आए हैं, जिन्हें आपको आज ही से शुरू कर देना चाहिए।

1. अपनी सुबह की शुरुआत ठीक तरीके से करें

आयुर्वेद के अनुसार आप सुबह सबसे पहले जो कुछ भी खाते या पीते हैं, उस पर आपका दिन भर का मूड निर्भर करता है। सही शुरूआत करने से आपका पाचन तंच ठीक से चलता है, मेटाबोलिज़्म में सुधार होता है और शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने में मदद मिलती है। हालांकि यह ज़रूरी नहीं कि सभी के लिए एक ही चीज़ ठीक हो। यहां हम आपको ऐसी कुछ चीज़ों के बारे में बताने जा रहे हैं जो विभिन्न ‘दोषों’ को दूर करने में मदद करेंगे।

वात दोष – सुबह के समय गाय के घी का एक चम्मच लें, इसके बाद अदरक से युक्त गुनगुने पानी का एक गिलास लें, इससे वात संतुलन में बना रहेगा।

पित्त दोष – सुबह की शुरुआत एक गिलास ठंडे नारियल पानी से करें या करीब 25 ML शुद्ध एलोवेरा जूस खाली पेट लें। इससे पित्त संतुलन में बना रहेगा।

कफ दोष – एक कप गुनगुने पानी में नींबू, अदरक और शहद मिलाकर लें। इससे मेटाबोलिक सिस्टम में सुधार होगा और पाचन तंत्र संतुलित बना रहेगा।

2. प्राणायाम करें

प्राणायाम सांस लेने की प्राचीन तकनीक है। यह सहज और शक्तिशाली है, जो ऑक्सीजन और प्राणा का प्रवाह में मदद करती है। शरीर में उर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाकर फेफड़ों, दिल एवं अन्य अंगों की फंक्शनिंग में सुधार लाती है। नियमित रूप से प्राणायाम करने से तनाव, चिंता और अवसाद कम होता है, एकाग्रता बढ़ती है और शरीर रिलेक्स रहता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, मेटाबोलिज़्म में सुधार आता है और ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिलती है।

3. तड़के को न भूलें

सब्ज़ी में जीरा हो या दाल में हल्दी, लहसुन या अदरक, मसाले आपके पाचन में सुधार लाते हैं, मेटाबोलिज़्म को बेहतर बनाते हैं, साथ ही आपके खाने का स्वाद भी बढ़ाते हैं। दाल में घी डालने से कब्ज़, गैस, पेट फूलना जैसी समस्याएं नहीं होंगी। भारत का लोकप्रिय तड़का पाचन, मेटाबोलिज़्म, जोड़ों एवं त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

4. जड़ी-बूटियों से तनाव कम करें

तनाव कई तरह की समस्याओं का कारण है। आयुर्वेदिक बूटियां जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, लैमनग्रास और तुलसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां हैं जो शरीर को शांत करती हैं। ये तनाव, अवसाद और चिंता को कम कर स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। ये बूटियां अनिद्रा को दूर करती हैं और याददाश्त को मजबूत बनाती हैं।

5. अच्छी नींद लें

नींद आपके शरीर की मरम्मत करती है। अच्छी नींद से आपको आराम मिलता है, शरीर ठीक से काम करता है, मेटाबोलिज़्म और पाचन में सुधार आता है, आपका स्वास्थ्य बेहतर होता है। पूरी नींद लेने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है, वज़न नहीं बढ़ता, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, क्रोनिक बीमारियों से बचाव होता है। आयुर्वेद में अच्छी नींद को बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इसलिए रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद लें। आयुर्वेद में रिलैक्स करने की अन्य तकनीकों का भी सुझाव दिया गया है जैसे मनन, सांस के व्यायाम और सोने से पहले हल्का संगीत सुनना।

आयुर्वेद शरीर और मन दोनों को स्वस्थ बनाता है। रोज़मर्रा में इन साधारण से उपायों को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रख सकते हैं। हर व्यक्ति अपने आप में खास होता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप अपनी ज़रूरतों के अनुसार अपने समाधान अपनाएं। सोच-समझ कर आयुर्वेद को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य को प्राकृतिक रूप से बेहतर बनाए रख सकते हैं।