कैंसर एक लाइलाज बीमारी है। इसका पता जितनी जल्दी लगा लिया जाए, इलाज में उतनी मदद मिलती है। लेकिन सिर्फ इलाज पर ध्यान देने के बजाय अगर हम इसे रोकने पर काम करेंगे, तो बेहतर होगा। प्रारंभिक तौर पर आपने कैंसर से बचाव के लिए कई घरेलू उपाय किए होंगे। इनमें से कुछ सफल हुए होंगे, तो कुछ ने खास कमाल नहीं दिखाया होगा। हाल ही में रिसर्चर्स ने पाया है कि एक ऐसा सपुरफूड है जो कैंसर सेल्स को मारता है और ट्यूमर को 80 प्रतिशत तक बढ़ने से रोकता है। वह सुपरफूड है हल्दी। इसका उपयोग सदियों से एक मसाले और औषधीय जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता रहा है। भारतीय इसका उपयोग अपने दैनिक भोजन में पकाने वाले ज्यादातर व्यंजनों में करते हैं।
क्योंकि यह खाने का स्वाद और रंग दोनों बढ़ा देता है। हल्दी में करक्यूमिन एक सक्रिय तत्व है, जिसमें कई बीमारियों से निजात दिलाने की क्षमता है। अच्छी बात ये है कि करक्यूमिन को कैंसर के उपचार में बहुत प्रभावी माना गया है। इतना ही नहीं, हल्दी की कैंसर से लड़ने की ताकत को पश्चिमी देशों ने भी पहचाना है। यूके की कैंसर रिसर्च का कहना है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर सेल्स को मारने में सक्षम है। बता दें कि कैंसर दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। हल्दी का उपयोग करके कैंसर जैसी बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
भारतीयों में पेट के कैंसर के मामले कम क्यों हैं
अपने आर्टिकल, जिसका टाइटल – 'Why are Cancer Rates so Low in India?' में अमेरिकन फिजिशियन माइकल हर्शल ग्रेगर कहते हैं कि पश्चिमी दुनिया में बेहद कम कैंसर के रूप में पेट का कैंसर काफी प्रचलित है। लेकिन यह उन क्षेत्रों के लोगों में बहुत कम देखा गया है, जहां आहार में हल्दी का सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है। भारत में कैंसर रेट पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम है।
भारतीय पुरूषों की तुलना में अमेरिकी पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर ज्यादा होता है। अमेरिकियों के मेलेनोमा की रेट 8 से 14 गुना, कोलेरेक्टॉल कैंसर 10 से 11 गुना ज्यादा, एंडोमेट्रियल कैंसर 9 गुना, स्तन कैंसर 5 गुना और किडनी का कैंसर 9 गुना ज्यादा होता है। बता दें कि यह आंकड़ा सिर्फ 5, 10 या 20 प्रतिशत नहीं है बल्कि भारत की तुलना में 5, 10 या 20 गुना ज्यादा है।
इंडियन डाइट कैंसर को रोकने में मददगार
डॉ. ग्रेगर ने देखा कि कई आहार कारक भारत में कैंसर की कमी में योगदान देते हैं। इनमें मांस का कम सेवन, ज्यादातर प्लांट बेस डाइट और मसालों का अधिक सेवन शामिल है। डॉ.माइकल ग्रगेर ने इंडियन डाइट की सराहना की है। उन्होंने कहा कि 40 प्रतिशल भारतीय वेजिटेरियन हैं। मांस खाने वाले भी बहुत ज्यादा मांस नहीं खाते हैं। वहीं भारत ताजे फल और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों और उपभोक्तओं में से एक है। इतना ही नहीं भारतीय बहुत सारी दालें खाते हैं और हल्दी ही नहीं बल्कि कई तरह के मसालों का सेवन मुख्य रूप से करते हैं, जो उन्हें कैंसर जैसी बीमारी से बचाए रखने में मदद करते हैं।
तीन स्तर पर काम करती है हल्दी
डॉ. ग्रेगर ने एक वीडियो शेयर किया है। वह कहते हैं कि भारतीय मसाले हल्दी में करक्यूमिन एक ऐसा ऐजंट हैं, जिसका वर्तमान में कैंसर की रोकथाम के लिए क्लीनिकल टेस्ट चल रहा है। शोध से पता चलता है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तीन स्तरों पर काम करता है। यह कैंसर के संचरण, प्रसार और आक्रमण के हर चरण को रोकता है। यह कार्सिनोजेन्स हमारी सेल्स तक पहुचंने से पहले ही अपना काम शुरू कर देता है। यूके केंसर रिसर्च का कहना है कि करक्यूमिन में एंटीकैंसर गुण होते हैं। यह ब्रेस्ट केंसर, पेट के कैसर , आंत्र कैंसर और त्वचा कैंसर सेल्स पर अच्छा प्रभाव डाल सकता है।
हल्दी आपको स्वस्थ रखने वाले गुणों से भी भरपूर है। एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर में 500 -2 हजार मिग्रा करक्यूमिन की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए आपको अलग से हल्दी का सेवन करने की जरूरत नहीं है। दिन के पके हुए व्यंजनों में अगर आप कम से कम एक चम्मच हल्दी का सेवन करते हैं, तो आपकी जरूरत आसानी से पूरी हो जाएगी। ध्यान रखें कि हल्दी डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई दवाओं को रिप्लेस नहीं कर सकती, इसलिए दवाओं को लेना जारी रखें।