नवजात शिशु के आहार में फैट एक महत्वूपर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट होता है। शिशु के लिए मां का दूध ही एनर्जी का प्रमुख स्रोत होता है। ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद फैट और इसके मेटाबोलाइट शिशु के मस्तिष्क के विकास और ग्रोथ में मदद करते हैं लेकिन मां के ब्रेस्टमिल्क में दिनभर में फैट की मात्रा में बदलाव आता रहता है।
ब्रेस्ट मिल्क में फैट के लेवल में बदलाव आना आम बात है और इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, मां को यह पता होना चाहिए कि उसके बच्चे को कितनी मात्रा में फैट मिल रहा है और आप किस तरह से ब्रेस्ट मिल्क में फैट की मात्रा को बढ़ा सकती हैं और अपने को भरपूर पोषण दे सकती हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि नवजात शिशु को ब्रेस्ट मिल्क से कितनी मात्रा में फैट की जरूरत होती है और एक मां किस तरह से इसकी मात्रा को बढ़ा सकती है।
ब्रेस्ट मिल्क में कितना फैट होना चाहिए
शिशु के विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्रेस्टमिल्क में बदलाव आते रहते हैं। हालांकि, सामान्य तौर पर ब्रेस्टमिल्क में 70 किलो कैलोरी एनर्जी प्रति डेसीलीटर और 3.6 ग्राम प्रति डेसीलीटर फैट होता है।
ब्रेस्टमिल्क में कितने तरह के फैट होते हैं
मां के आहार पर ब्रेस्टमिल्क में मौजूद फैट का प्रकार निर्भर करता है। ये फैट्स ट्राईग्लिसराइड, पॉलीअनसैचुरेटिड फैटी एसिड जैसे कि ओमेगा-3 फैटी एसिड, और ओमेगा-6 फैटी एसिड, कोलेस्ट्रोल और मोनोअनसैचुरेटिड फैटी एसिड होते हैं।
दूध में कैसे कम हो सकता है फैट
ब्रेस्ट के खाली होने पर ब्रेस्ट मिल्क में फैट की मात्रा में बदलाव आता रहता है। ब्रेस्ट से एक बार में दूध को जितना खाली कर लेंगी, उतना ही ज्यादा उसमें फैट बनेगा। वहीं शुरुआत में आने वाले दूध यानि फोरमिल्क की तुलना में हिंद मिल्क यानि बाद में आने वाले दूध में फैट की मात्रा अधिक होती है।
ब्रेस्टमिल्क में कैसे बढ़ाएं फैट
जब आप बेबी को दूध पिलाती हैं, तो एक से दूसरी ब्रेस्ट पर शिफ्ट तभी करें जब बच्चा एक स्तन से पूरा दूध पी लें। इससे बच्चे को फैट वाला दूध मिल पाएगा। ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय पहले ब्रेस्ट में फोरमिल्क आता है और उसके बाद हिंदमिल्क आता है। दूध पिलाते समय जल्दी ब्रेस्ट बदलने पर आपके बच्चे को फोरमिल्क ही मिल पाएगा और फैट की मात्रा कम मिलेगी।
मां का आहार
मां के खाने में किस तरह का फैट और कितनी मात्रा में है, वह दूध के जरिए शिशु तक पहुंंचता है। इसलिए यह जरूरी है कि मां अपने आहार में हेल्दी फैटी एसिडों को शामिल करे।
ब्रेस्ट मसाज
स्तनपान करवाते समय या इससे पहले, ब्रेस्ट की हल्की मालिश करने से फैट वाला दूध आगे आता है और दूध की नलिकाएं साफ हो जाती हैं। इससे ब्रेस्ट में से दूध खाली करने में भी मदद मिलती है और फैट की मात्रा में सुधार आता है।
संतुलित आहार
मां की डाइट में फैट की मात्रा को बढ़ाकर ब्रेस्ट मिल्क में फैट की मात्रा और इसकी क्वालिटी को बेहतर किया जा सकता है। ब्रेस्ट मिल्क में पर्याप्त मोनोअनसैचुरेटिड और पॉलीअनसैचुरेटिड फैटी एसिड होने स शिशु के मस्तिष्क के विकास में मदद मिल सकती है। इसके अलावा मां को अंडा, अलसी के बीज, वेजिटेबल ऑयल, सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन और फैटी फिश भी खानी चाहिए। इससे ब्रेस्ट मिल्क की क्वालिटी में सुधार आ सकता है।