जबलपुर। जब एक युवक जेल में बंद था, तो उसने अपराध कैसे कर दिया। यह सवाल हाई कोर्ट में गंभीरता से उठा। इसी के साथ आवेदक को जमानत का लाभ दे दिया गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि जब आरोपित युवक जेल में बंद था तो छतरपुर पुलिस ने उस पर परिशांति भंग करने का फर्जी केस कैसे लगा दिया। न्यायमूर्ति वीरेन्दर सिंह की सिंगल बेंच ने इस तल्ख टिप्पणी के साथ आरोपित युवक को जमानत दे दी। छतरपुर निवासी वीरेंद्र कोरी की ओर से यह जमानत अर्जी प्रस्तुत कर अधिवक्ता ब्रह्मानन्द पांडे ने कोर्ट को अवगत कराया कि पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक द्वारा चलाई जा रही एक कार रोकी। पुलिस को देखकर ड्राइवर भाग गया, जो।पहचान में भी नही आया। गाड़ी से पुलिस ने 108 लीटर अवैध शराब बरामद की। अधिवक्ता पांडे ने दलील दी कि पुलिस ने याचिकाकर्ता को विद्वेषपूर्ण तरीके से घर से बुलाकर गिरफ्तार कर लिया और उस पर उक्त अवैध शराब का प्रकरण दर्ज कर लिया। एक मई 2021 को उसे जेल भेज दिया गया। तर्क दिया गया कि छह जून, 2021 को जबकि आरोपित जेल में बंद था, पुलिस ने इसी विद्वेष के चलते याचिकाकर्ता पर परिशांति भंग करने का एक केस दर्ज कर दिया। जबकि जेल में बंद रहते हुए शांति भंग किए जाने का कोई सवाल ही नही उठता। उन्होंने तर्क दिया कि इससे पुलिस की विद्वेषपूर्ण कार्रवाई का खुलासा होता है। लिहाजा, आरोपित को जमानत का लाभ दिया जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तर्कों से सहमत होकर जमानत अर्जी मंजूर कर ली।