जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आनलाइन लर्नर लाइसेंस प्रक्रिया की कमियों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में केंद्र शासन, सड़क, परिवहन व राजमार्ग विभाग के सचिव, राज्य शासन, परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव व परिवहन आयुक्त को नोटिस जारी किए गए हैं। सभी को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता शांति नगर, दमोहनाका, जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा की ओर से अधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आनलाइन लर्नर लाइसेंस प्रक्रिया तो लागू कर दी गई, लेकिन कमियों को दूर करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।लिहाजा, तमाम तरह की कमियों को दूर किया जाना आवश्यक है। इसके अभाव में यह प्रक्रिया प्रश्नवाचक बनी रहेगी।इसके दुरुपयोग की आशंका भी कायम रहेगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में जिम्मेदारी पूरी नहीं की-
जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र व राज्य शासन ने आनलाइन लर्नर लाइसेंस प्रक्रिया को तो गति दे दी किंतु इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में जिम्मेदारी पूरी नहीं की। मसलन, फेसीलिटेशन सेंटर व इलेक्ट्रानिक पोर्टल की सुविधा नहीं दी गई। ऐसा कोई फोरम नहीं बनाया, जिसके जरिये आनलाइन लर्नर लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में आरटीओ द्वारा क्रास एग्जामिनेशन किया जा सके। मैनुअल से आनलाइन प्रक्रिया में परिवर्तन से पूर्व जो मैकेनिज्म दिया जाना चाहिए था, उसकी सर्वथा अनदेखी की गई। इस वजह से ऐसे लोगों को भी लाइसेंस जारी होने की आशंका बढ गई है, जो सड़क दुर्घटनाओं का सबब बन सकते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि राज्य सरकार बेहतर सड़कें मुहैया कराने की दिशा में असफल है। लिहाजा, आनलाइन लर्नर लाइसेंस प्रक्रिया अंतर्गत प्रापर सेटअप आवश्यक है।