जोशीमठ । उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ शहर के डेढ़ किलोमीटर इलाके को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है। जानमाल की सुरक्षा के लिए डेढ़ किलोमीटर के भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को खाली कराया जा रहा है। सरकार ने विशेषज्ञों की टीम की सिफारिश पर यह कदम उठाया है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया है कि सेना ने जोशीमठ स्थित अपने आवासीय परिसर में खतरे की जद में आए भवनों को खाली कराना शुरू कर दिया है। वहां रह रहे परिवारों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जा रहा है।
भू-धंसाव की समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए जोशीमठ का जियो टेक्निकल और जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाएगा। जिन क्षेत्रों में घरों में दरारें नहीं हैं वहां भवन निर्माण के लिए गाइडलाइंस जारी की जाएगी। इस क्षेत्र का हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन भी कराया जाएगा। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि प्रभावितों को दूसरी जगह बसाने के लिए पीपलकोटी गोचर कोटी कॉलोनी समेत कुछ अन्य स्थान चुने गए हैं। प्री-फैब्रिकेटेड घरों को बनाने के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा गया है।
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीबीआरआई) 10 जनवरी तक इनके डिजाइन देगा और वेंडर भी बताएगा। वह जोशीमठ में बने भवनों का अध्ययन करेगा कि वहां किस तरह के घर बनाए जा सकते हैं। जोशीमठ में भू-धंसाव और घरों में दरारें पड़ने का सिलसिला तेज होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का फिर से अध्ययन करने के लिए सचिव आपदा की अध्यक्षता में टीम भेजी थी। टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी।
इस टीम ने पिछले गुरुवार से जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण कर स्थानीय निवासियों से बातचीत करते हुए रिपोर्ट तैयार की थी। उन्हीं सिफारिशों के आधार पर एहतियातन कुछ खतरनाक क्षेत्रों को खाली कराया जा रहा है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि ऐसे भवनों को गिराया भी जाए जो खतरनाक हो चुके हैं और पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। एनडीआरएफ की टीमें प्रभावित परिवारों की सहायता और उन्हें सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाने के लिए जोशीमठ पहुंच गई हैं। लगभग 6000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ का तापमान इन दिनों शून्य से भी नीचे चला जाता है। जनवरी में बर्फबारी भी होती है इसलिए आने वाले दिनों में यह परेशानी और न बढ़े इसको लेकर हर एहतियात बरते जा रहे हैं।