नई दिल्ली
भगवान जगन्नाथ की 145वीं रथ यात्रा आज से प्रारंभ हो गई है। यात्रा से पहले अहमदाबाद में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 'मंगला आरती' में हिस्सा लिया तो वहीं मुख्यमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी रथयात्रा की पूजा में शामिल हुए । उधर दूसरी ओर पुरी में भव्य रथयात्रा की तैयारी की गई है। इस यात्रा के जरिए प्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। आपको बता दें कि पूरे दो साल बाद पूरे जोश से इस बार यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए विश्व के कोने-कोने से लोग आएं हैं।
01 जुलाई 2022 (शुक्रवार)- रथ यात्रा प्रारंभ
05 जुलाई (मंगलवार)- हेरा पंचमी (पहले पांच दिन गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं)
08 जुलाई (शुक्रवार)- संध्या दर्शन
09 जुलाई (शनिवार)- बहुदा यात्रा (तीनों रथ की घर वापसी)
10 जुलाई (रविवार)- सुनाबेसा
11 जुलाई (सोमवार)- आधर पना
12 जुलाई (मंगलवार)- नीलाद्री बीजे
'पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा'
मालूम हो कि 'पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा' हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है और 8 दिन बाद दशमी तिथि को समाप्त होती है। रथयात्रा में तीन रथ होते है, जिसमें सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सबसे पीछे नन्दीघोष नाम के रथ पर श्री जगन्नाथ चलते हैं।
चार धामों में से एक है पुरी
बता दें कि चार धामों में से एक पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण की जगन्नाथ के रूप में पूजा की जाती हैं और इनके साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी को भी पूजा जाता है। रथयात्रा में तीनों ही लोगों के रथ निकलते हैं।
क्या है 'रथयात्रा' का अर्थ?
'रथ' को इंसान के शरीर से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि रथ रूपी शरीर में आत्मा रूपी भगवान जगन्नाथ रहते हैं। 'रथयात्रा' शरीर और आत्मा के मेल की ओर संकेत करता है इसलिए श्री जगन्नाथ का रथ खींचकर लोग अपने आप को ईश्वर के समीप लाते हैं क्योंकि आत्मा अगर शुद्ध रहेगी तो इंसान हमेशा सही मार्ग पर चलेगा।