चीन से तनाव के बीच सेना को फास्ट ट्रैक रूट से हथियार खरीद की छूट देने की तैयारी में सरकार

नई दिल्ली
भारतीय सेना जल्द ही फास्ट ट्रैक रूट के जरिए सीधे कोई भी रक्षा उपकरण या हथियार खरीद सकेगी। इसके लिए सुरक्षाबलों को आपातकालीन अधिग्रहण शक्तियों के तहत महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों को खरीदने की मंजूरी देने की तैयारी है। इससे सुरक्षाबल अपनी ऑपरेशनल तैयारियों को और अधिक मजबूत कर सकेंगे। सरकार यह फैसला ऐसे समय लेने जा रही है जब चीन के साथ भारत का गतिरोध चल रहा है।

सूत्रों के अनुसार, अगले हफ्ते होने वाली उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय की बैठक में रक्षा बलों को आपातकालीन अधिग्रहण अधिकार देने के मसले पर चर्चा होने की उम्मीद है। आपातकालीन शक्तियां सुरक्षा बलों को संघर्ष की स्थिति के लिए तैयारियों में सुधार करने के लिए फास्ट-ट्रैक के जरिए कोई भी नया या इस्तेमाल में लाए जाने वाले उपकरण खरीदने की मंजूरी देती हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक बाद दी गई थी शक्तियां
पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के दौरान वर्ष 2016 में उरी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पहली बार रक्षा बलों को ये शक्तियां दी गई थी। सैन्यबलों के लिए यह शक्तियां चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध से निपटने में भी मददगार साबित हुईं। सेना और भारतीय वायुसेना ने इन शक्तियों का इस्तेमाल अपने छोटे हथियारों को मजबूत करने के लिए किया क्योंकि सिग सॉय असॉल्ट राइफल्स को अब तीनों बलों में शामिल कर लिया गया ह।
 
जरूरत पड़ने पर खुद को आवश्यक हथियार से लैस
भारतीय सशस्त्र बलों ने सरकार द्वारा विभिन्न चरणों में उन्हें दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों का व्यापक रूप से उपयोग किया ताकि दोनों पक्षों के दुश्मनों द्वारा किसी भी संघर्ष या आक्रमण से निपटने के लिए आवश्यक हथियारों से खुद को लैस किया जा सके। सशस्त्र बलों के पास हथियार और अन्य चीजों को खरीदने के लिए लंबी सूची है और वे स्वदेशी के साथ-साथ विदेशी निर्मित उत्पादों को खरीदने के लिए इन शक्तियों का उपयोग करेंगे।

ताइवान के मोर्चे पर चीन आक्रामक
रक्षा बलों को ऐसे वक्त में ये शक्तियां देने की तैयारी की जा रही है जब चीन ताइवान के मोर्चे पर आक्रामक युद्धाभ्यास कर रहा है। दूसरी ओर, पाकिस्तानी एजेंसियां ​​भी गुजरात तट के पास भारत के साथ लगती समुद्री सीमा पर ऑपरेशन चलाने की कोशिश कर रही हैं।