नई दिल्ली
कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variants) को पिछले डेल्टा वैरिएंट से कम घातक माना जा रहा है और एक्सपर्ट का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में हॉस्पिटिल में भर्ती होने और मृत्यु का जोखिम 50-70 प्रतिशत कम है. देश में ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है.
हालांकि, ओमिक्रॉन के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर आई है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की स्टडी में दावा किया गया है कि ओमिक्रॉन से रिकवर होने के बाद जो एंटीबॉडी शरीर में बनती हैं, वह डेल्टा सहित अन्य COVID-19 वैरिएंट पर भी प्रभावी हैं.
संक्रमण की संभावना होगी कम
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक प्रज्ञा डी यादव, गजानन एन सपकाल, रीमा आर सहाय और प्रिया अब्राहम द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक, ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में काफी अच्छा इम्यून रिस्पांस देखने को मिला है, जो कि डेल्टा के साथ कोरोना के अन्य वैरिएंट को बेअसर कर सकता है. इससे वापस से डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने की संभावना काफी कम हो जाती है. ओमिक्रॉन से विकसित हुई एंटीबॉडीज कोरोना के अन्य वैरिएंट पर भी काफी असरदार हैं.
39 लोग हुए थे रिसर्च में शामिल
इस रिसर्च में जिन 39 लोगों ने भाग लिया था, उनमें भारत के अलावा दूसरे देशों से आए लोग भी शामिल थे. 39 लोगों में से 28 संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण/पश्चिम/पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व, अमेरिका और यूके से लौटे थे और 11 लोग उनके संपर्क में आए थे. ये सभी लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित थे.
इनमें से 25 लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली थी, 8 लोगों ने फाइजर वैक्सीन ली थी और 6 लोगों ने कोई भी वैक्सीन नहीं ली थी. रिकवर होने के बाद सभी लोगों में काफी अच्छा इम्यून रिस्पांस देखने मिला, जो कि कोरोना के अन्य वैरिएंट को निष्क्रिय कर सकता है.
रिसर्च के लिए ICMR ने ओमिक्रॉन वैरिएंट (B.1.1529 और BA.1) से संक्रमित व्यक्तियों के खून में से लिए गए द्रव (Sera) के साथ B.1, Alpha, Beta, Delta और Omicron वैरिएंट के विरुद्ध IgG और बेअसर एंटीबॉडी (NAbs) का विश्लेषण किया. जिसमें पाया कि ओमिक्रॉन की एंटीबॉडी इन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी होती हैं. यानी कि ओमिक्रॉन से रिकवर होने के बाद जो एंटीबॉडी विकसित होती है, वह कोरोना के इन वैरिएंट को बेअसर कर सकती है.
प्लास्टिक और त्वचा पर अधिक देर जीवित रहता है ओमिक्रॉन
जापान में क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स के मुताबिक, कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट प्लास्टिक और त्वचा पर 193 घंटे तक जीवित रह सकता है. इसके अलावा कोरोना के ओरिजिनल वैरिएंट के जिंदा रहने का समय 56 घंटे, अल्फा का 191 घंटे, बीटा का 156 घंटे, गामा का 59 घंटे और डेल्टा वैरिएंट का 114 घंटे था. अगर त्वचा की बात करें तो कोरोना का ओरिजनल वैरिएंट 8 घंटे, अल्फा 19.6 घंटे, बीटा 19.1 घंटे, गामा 11 घंटे, डेल्टा 16.8 घंटे और ओमिक्रॉन 21.1 घंटे जीवित रह सकता है.