नई दिल्ली
अग्निपथ भर्ती योजना में उम्मीदवारों से जाति और रिलिजन सर्टिफिकेट मांगे जाने पर सेना ने सफाई दी है। अधिकारियों का कहना है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। आवश्यक होने पर उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र पहले भी जमा कराया जाता रहा है। सेना का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान मरने वाले रंगरूटों और सर्विस में शहीद होने वाले सैनिकों का धार्मिक अनुष्ठानों के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसे में उनके धर्म की जानकारी की जरूरत पड़ती है। दरअसल, अग्निपथ योजना में उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को ट्वीट करके कहा, "जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की। संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा।"
जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी सरकार: तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर अग्निपथ व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी, लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?"
संजय सिंह बोले- सेना में पहली बार पूछी गई जाति
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने दावा किया कि देश के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, "मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर बनाना है या जातिवीर।"