वाराणसी
राजधानी नई दिल्ली और भगवान शिव की नगरी वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर (Varanasi Delhi Bullet Train) में रुकावट आ गई है। रेलवे बोर्ड ने ट्रेन के रूट में जरूरत से ज्यादा हिस्सा घुमावदार होने का हवाला देते हुए परियोजना की अंतिम रूप से जारी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रस्तावित रूट पर इतने सारे घुमाव 350 किमी/घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलने के लिए कारगर नहीं होंगे। रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रस्तावित कॉरिडोर को नैशनल हाइवे-2 के साथ बनाया जाएगा। इससे सस्ती दरों पर भूमि के अधिग्रहण और निर्माण की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रेलवे बोर्ड ने सुझाव दिया है कि फिलहाल के लिए 160-200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन पर ध्यान होना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि अगले तीन साल में करीब 400 ऐसी ट्रेनें उपलब्ध होंगी और विभिन्न मार्गों पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
एनएचएसआरसीएल परियोजना पर काम करना चाहता है वहीं रेलवे बोर्ड मुंबई और अहमदाबाद के बीच चालू बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी तथा अड़चनों पर विचार करते हुए इस संदर्भ में चिंतित है।
सूत्रों ने कहा कि विलंब के कारण मुंबई-अहमदाबाद परियोजना की अनुमानित लागत 1.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच सकती है। अधिकारियों ने कहा कि हाई-स्पीड कॉरिडोर बनाने के लिए प्रति किलोमीटर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।
रेलवे बोर्ड ने सुझाव दिया है कि फिलहाल के लिए 160-200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन पर ध्यान होना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि अगले तीन साल में करीब 400 ऐसी ट्रेनें उपलब्ध होंगी और विभिन्न मार्गों पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के अनुसार सराय काले खां से चलकर इस ट्रेन का पहला ठहराव सेक्टर-148 में होना था। इसके बाद यह नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर रुकेगी। सराय काले खां से एयरपोर्ट पहुंचने में इसे 21 मिनट लगेंगे। बुलेट ट्रेन मथुरा, आगरा, इटावा, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज होते हुए वाराणसी तक 816 किमी की दूरी 4 घंटे में तय करेगी। जबकि, अभी इसमें 10 घंटे तक लग जाते हैं। प्रदेश के प्रमुख तीर्थ और पर्यटन स्थलों पर जाना इससे आसान हो जाएगा।