मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर की सीबीआई जांच पूरी, सबूत की आधे घंटे से ज्यादा हुई तलाश

नई दिल्ली
दिल्ली की नई आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) मामले में सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के बैंक लॉकर की जांच की। आधे घंटे से ज्यादा सीबीआई की टीम ने बैंक लॉकर की तलाशी ली। सीबीआई जांच के दौरान मनीष सिसोदिया पत्नी के साथ बैंक में मौजूद रहे। जागरण संवाददाता सौरभ पांडेय ने बताया कि गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर- में स्थित पीएनबी बैंक की ब्रांच में सीबीआई टीम ने छापेमारी की। सुबह से ही बैंक के बाहर मीडिया का जमावड़ा लग गया था। लगभग 11 बजे के आस-पास मनीष सिसोदिया पत्नी के साथ बैंक पहुंच आए थे।

आधे घंटे से भी ज्यादा हुई पूछताछ
मनीष सिसोदिया के पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही सीबीआई के अधिकारी भी बैंक पहुंचे। आधे घंटे से भी ज्यादा तक सीबीआई की टीम ने लॉकर की जांच। साथ ही मनीष सिसोदिया से फाइल्स के बारे में पूछताछ की।  गौरतलब हो कि गाजियाबाद के वसुन्धरा सेक्टर-4 में मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी का पंजाब नेशनल बैंक में लॉकर है। बताया जा रहा है कि यहां सीबीआई बैंक लॉकर की जानकारी खंगालेगी। सीबीआई के पहुंचने से पहले ही बैंक के बाहर मीडिया का जमावड़ा लग गया था।  

बता दें कि मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया है कि 'सीबीआई हमारा बैंक लॉकर देखने आ रही है। 19 अगस्त को मेरे घर पर 14 घंटे के छापे में कुछ नहीं मिला था। लॉकर में भी कुछ नहीं मिलेगा। सीबीआई का स्वागत है। जांच में मेरा और मेरे परिवार का पूरा सहयोग रहेगा।''  शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्हें एक झूठे मामले में आरोपी बनाया गया है। ताकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आगे बढ़ने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर जनता अरविंद केजरीवाल को देख रही है।

31 ठिकानों पर हो चुकी है छापेमारी
बता दें कि दिल्ली की नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इस सीबीआई ने केस दर्ज करते हुए 19 अगस्त को इस मामले में मनीष सिसोदिया के आवास समेत 31 स्थानों पर छापे मारे थे। हालांकि इस रेड में सीबीआई के हाथ खाली रहे।

ED ने दर्ज किया है धनशोधन का केस
गौरतलब हो कि उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। भारी विरोध के बाद केजरीवाल सरकार ने जुलाई में इस नीति को वापस ले लिया था। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितता की जांच करने के लिए धनशोधन का मामला दर्ज किया है।