नई दिल्ली । भले ही मार्च माह में मौसम ने एकाएक करवट बदलकर गर्मी से राहत दे दी हो, लेकिन अभी भी देश के अलग-अलग राज्यों में गर्मी के तेवर देखे जा सकते हैं। आने वाले समय में इसके और ज्यादा तेवर दिखाए जाने का अनुमान है। गर्मी के बढ़ने के साथ बिजली की डिमांड में भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इसको लेकर बिजली उत्पादन की पर्याप्त क्षमता और उसके प्रबंधन की फुलप्रूफ तैयारी भी की जा रही है। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने भी अनुमान जताया है कि आने वाले अप्रैल माह से ही बिजली की गंभीर कमी से जूझना पड़ सकता है। इस साल बिजली की अनुमानित पीक डिमांड में 8 फीसदी ज्यादा बढ़ोतरी रिकॉर्ड किए जाने का अनुमान है। इस साल देश में बिजली की अनुमानित पीक डिमांड 230 जीडब्ल्यू (गीगा वाट) में बढ़ोतरी रिकॉर्ड होने के अनुमान के चलते समर एक्शन प्लान पर काम करने की तैयारी की जा रही है। भारत के बिजली ग्रीड गर्मी में संकट से निपटने की तैयारी में जुट गए है। ग्रीड सिस्टम ऑपरेटर अप्रैल में 18 ‘अलर्ट डेज’ पर काम करने की तैयारी में हैं। पिछले साल सर्वाधिक मांग जुलाई में 211.6 गीगावॉट दर्ज की गई थी, लेकिन इस साल पीक डिमांड 230 जीडब्ल्यू (गीगा वाट) होने का अनुमान जताया गया है।
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच देखा जाए तो गर्मी से निपटने के लिए और किसी भी संकट से बचाने के लिए अभी से ही बड़ी तैयारियां की जा रही हैं। विद्युत अधिनियम का हवाला देकर पारंपरिक थर्मल पावर प्लांट के मेंटेनेंस प्रोग्राम को अगले तीन माह के लिए टाल देने के आदेश दिए गए हैं। इन सभी प्लांट्स को 16 मार्च से 30 जून तक फुल कैपेसिटी के साथ बिजली का उत्पादन करने के आदेश दिए गए हैं। आयातित कोयले से बिजली उत्पादन करने वाले इन पावर प्लांट्स को सख्त आदेश जारी किए गए हैं। विद्युत अधिनियम की धारा-11 में इस तरह का प्रावधान है कि सरकार की ओर से असाधारण परिस्थितियों में किसी उत्पादन कंपनी को किसी भी स्टेशन को संचालित करने और बनाए रखने के लिए निर्देशित कर सकती है।
राज्य वितरण कंपनियों का इन संयंत्रों के साथ बिजली खरीद समझौता (पीपीए) है। इस समझौते के तहत उनको उत्पन्न बिजली के लिए इनकार करने का पहला अधिकार भी मिला है। अगर यह राज्य उत्पन्न बिजली नहीं खरीदना चुनते हैं, तो डेवलपर्स इस बिजली को बाजार में बेच सकते हैं। इसके अलावा राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीसी लिमिटेड के करीब 5 हजार मेगावाट गैस-आधारित उत्पादन (एक हजार मेगावाट 1जीडब्ल्यू के बराबर है) को चालू करने के आदेश जारी किए गए हैं और इन स्टेशनों से उत्पन्न बिजली पीपीए धारकों को बेची जानी है। वहीं बाकी उत्पादित बिजली को मार्केट में बेचा जा सकेगा। अधिकारियों ने संकेत दिया कि बिजली संकट से निपटने के लिए 18 दिन बेहद ही खास माने जाते हैं। एनटीपीसी की बिजली व्यापार शाखा एनवीवीएन को गैस बिजली आपूर्तिकर्ताओं को अनुबंधित करने और पूल-इन करने के लिए कहा गया है। माना जाता है कि दक्षिण के मुकाबले उत्तरी क्षेत्र में जलाशय स्तर अच्छा है। दक्षिण में जल विद्युत उत्पादन अपेक्षित स्तर से नीचे रहने की संभावना है। इसके लिए दक्षिण क्षेत्र में अप्रैल माह में शाम के वक्त बिजली के उत्पादन पर बल देने का निर्देश दिया गया है।