बिजली संकट से निपटने के लिए कोल इंडिया का बड़ा फैसला, 7 साल बाद होगा कोयले का आयात

नई दिल्ली
इस बार मार्च से भीषण गर्मी पड़ने लगी, जिस वजह से बिजली की खपत भी काफी ज्यादा बढ़ गई। इसके चलते अप्रैल और मई में देश के कई हिस्सों में कोयले की कमी देखने को मिली। इस संकट से निपटने के लिए देश में कोयले की सप्लाई का जिम्मा उठा रही सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत अब देश में विदेशों से कोयला मंगाया जा रहा। पिछले 7 सालों से कोयले का आयात बंद था। ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला सचिव, कोल इंडिया के अध्यक्ष समेत तमाम हितधारकों को एक पत्र भेजा है। जिसमें लिखा गया कि कोल इंडिया सरकार से सरकार (जी2जी) के आधार पर कोयले का आयात करेगी। इसके बाद इस कोयले की आपूर्ति राज्यों में लगे बिजली संयंत्रों में की जाएगी। हालांकि राज्य पहले ही दूसरे देशों से आने वाले कोयले को लेकर चिंता जता चुके हैं। उनका कहना है कि ये कोयला घरेलू कोयले से महंगा पड़ेगा।

तीसरी तिमाही में भी कमी
ऊर्जा मंत्रालय को आशंका है कि 2022 की तीसरी तिमाही में भी कोयले की कमी बनी रहेगी। ऐसे में कोयला आयात का फैसला लिया गया। 2015 के बाद ये पहली बार होगा, जब कोल इंडिया दूसरे देशों से कोयला मंगवाएगी। वहीं राज्यों ने भी अनुरोध किया था कि अलग-अलग टेंडर ना जारी किए जाएं, इससे गड़बड़ी की आशंका रहेगी। इसकी जगह पर कोल इंडिया कोयले का एक साथ आयात करे, फिर उसे जरूरत के हिसाब से राज्यों को भेज दे। अब मंत्रालय के इस आदेश के बाद सभी अंडर प्रोसेस टेंडर को रद्द कर दिया जाएगा।

रेलवे भी एक्शन मूड में
पूरे देश में कोयला पहुंचाने का जिम्मा रेलवे के पास है। अप्रैल में जब कोयले की कमी हुई तो इसके लिए रेलवे की सुस्त सप्लाई को जिम्मेदार ठहराया गया। जिसके बाद कई ट्रेनों को रद्द कर रेलवे ने कोयले वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ा दी, ताकि संयंत्रों तक कोयला टाइम से पहुंचाया जा सके।