नई दिल्ली।
कोरोना महामारी के दौर में जब दुनियाभर में ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी तब देश में पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले एक तिहाई छात्रों के घर में स्मार्ट फोन नहीं था। वर्ल्ड इकोनॉमिक रिपोर्ट (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि भारत में कोरोना ने ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे बच्चों और युवाओं की पढ़ाई को सबसे अधिक प्रभावित किया है। डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को अधिक नुकसान हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सिर्फ आठ फीसदी छात्र ही नियमित ऑनलाइन क्लास में बैठे। 37 फीसदी छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह ठप रही। बच्चों के दो तिहाई अभिभावकों ने ये भी बताया है कि स्कूल बंद रहने और ऑनलाइन पढ़ाई का संसाधन न होने से बच्चों के पढ़ने और लिखने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ा है।
स्कूली बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित
दुनियाभर में स्कूल खुल गए हैं, लेकिन महामारी का दुष्प्रभाव ये है कि विश्व में 3.8 करोड़ बच्चों का स्कूल छूट गया है। दुनिया के ग्यारह देशों में तीन से छह और 14 से 18 वर्ष के 13.1 करोड़ बच्चे मार्च से सितंबर 2021 तक ऑनलाइन चलने वाली तीन चौथाई कक्षाओं में संसाधनों के अभाव में भाग नहीं ले सके। इससे उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।
और छूट गया बेटियों का स्कूल
फोरम की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना से सबसे ज्यादा नुकसान लड़कियों की शिक्षा को हुआ है। दुनियाभर में 1.1 करोड़ लड़कियों का स्कूल छूट गया है। फोरम ने आंकड़े पर चिंता जताते हुए कहा है कि दशकों से समानता की स्थिति कायम करने की दिशा में ये सबसे बड़ा नुकसान है। लड़कियों का स्कूल छूटने से जबरन जल्दी शादी और हिंसा जैसे मामले बढ़ जाएंगे।
इंटरनेट की पहुंच भी बड़ी बाधा
फोरम की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 220 करोड़ बच्चे जिसमें 25 वर्ष से कम उम्र के युवा शामिल हैं उनके पास इंटरनेट नहीं है। दुनिया के संपन्न देशों में इंटरनेट की पहुंच का दायरा 87 फीसदी है जबिक कम आय वाले देशों में ये सिर्फ छह फीसदी है। दुनियाभर में चार में से एक बच्चा जो ऑनलाइन नहीं पढ़ सका उसका संबंध ग्रामीण क्षेत्र या गरीब परिवार से था।
संकट से सबक लेने की जरूरत
डब्ल्यूईएफ ने कहा है कि संकट से सबक लेने की जरूरत है। बच्चों और लड़कियों की पढ़ाई किसी हाल में न रुके इसके लिए स्थानीय सरकारों और प्रशासन को प्रयास करना होगा। स्कूल खुलने के बाद जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे उन्हें दोबारा स्कूल पहुंचाने की रणनीति बनानी होगी। तभी भविष्य की राह को आसान बनाया जा सकता है।