देहरादून
लोगों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने को हर दिन बाजार से 11 करोड़ से अधिक की बिजली खरीदी जा रही है। इसके बाद भी बिजली का संकट बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में एक घंटे तक की कटौती करनी पड़ रही हैं। इसके साथ ही फर्नेश उद्योगों को भी लगातार पॉवर कट से जूझना पड़ रहा हैं। राज्य में बिजली की मांग भी रिकॉर्ड 42.5 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है। जबकि राज्य और केंद्रीय उपक्रमों से मिलने वाली बिजली 31.5 मिलियन यूनिट तक ही सीमित है। शेष 11 एमयू बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है। इसमें भी करीब तीन मिलियन यूनिट बिजली की कमी रह जा रही है।
जिसका जुगाड़ रियल टाइम मार्केट से किया जा रहा है। इसमें भी कई स्लॉट में बिजली उपलब्ध न होने पर कटौती करनी पड़ रही है।रविवार को फर्नेश उद्योग और कुछ ग्र्रामीण स्थानों को छोड़ अन्य कहीं बिजली कटौती नहीं हुई। इसे यूपीसीएल अपने लिए सुकून भरी स्थिति मान रहा है। सोमवार के लिए भी बिजली के इंतजाम का दावा किया गया है। सिर्फ तीन मिलियन यूनिट बिजली की कमी है। इस कमी को रियल टाइम मार्केट में एडजस्ट किया जाएगा। इसे देखते हुए संभावना यही जताई जा रही है कि बिजली कटौती फर्नेश और ग्रामीण क्षेत्रों में ही हो सकती है।
पॉवर सप्लाई पर एक नजर
प्रतिदिन बिजली की मांग –42.5 एमयू
बिजली की उपलब्धता — 31.5 एमयू
बाजार से खरीद — 08 एमयू
बिजली की कमी — 03 एमयू(आरटीएम से खरीद)
खत्म नहीं हो रही बाजार पर निर्भरता
बिजली की मांग पूरी करने को यूपीसीएल की बाजार पर निर्भरता खत्म नहीं हो रही है। यूजेवीएनएल से भी यूपीसीएल को 13.5 एमयू बिजली ही मिल रही है। जबकि यूजेवीएनएल से 24 एमयू तक बिजली मिलती है। इसके साथ ही कोयला, गैस आधारित पॉवर प्लांट से भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। कोयला, गैस पॉवर प्लांट से पर्याप्त बिजली उत्पादन न होने से बाजार में बिजली के रेट उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। जो बिजली का औसत रेट साढ़े पांच रुपये तक रहता था। उसी बाजार में मौजूदा समय में अधिकतम 12 रुपये प्रति यूनिट के रेट पर भी बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है। 15 दिन में यूपीसीएल 165 करोड़ की बिजली खरीद चुका है।