सेना के लिए चुनौती बने वैध आधार कार्ड वाले विदेशी आतंकी, अधिकारी बोले- इससे भी निपट लेंगे

श्रीनगर
 कश्मीर में वैध आधार कार्ड ले जाने वाले विदेशी आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है। भारतीय सेना के श्रीनगर स्थित 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल दीपक पांडे ने सोमवार को कहा कि ऐसे में जब वे अपने पहचान दस्तावेज दिखाते हैं तो नियमित जांच, मुठभेड़ या तलाशी अभियान के दौरान व्यक्तियों की पहचान का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने कहा, "ये चुनौतियां हैं क्योंकि यदि कोई व्यक्ति (विदेशी आतंकवादी) आधार कार्ड रखता है, तो उसकी वास्तविक पहचान का पता लगाना एक कठिन काम होता है। साथ ही, जब कोई मुठभेड़ होती है और अगर कोई व्यक्ति वैध आधार कार्ड के साथ मुठभेड़ के दौरान बाहर आता है, तो यह एक कठिन चुनौती हो जाता है। (लेकिन) धीरे-धीरे हम इस समस्या से निजात पा लेंगे।" एक समारोह से इतर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में इस्तेमाल किए गए कुछ विदेशी हथियार कश्मीर में बरामद किए गए हैं, लेकिन संख्या बड़ी नहीं है और सेना ने इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए इंगेजमेंट के नियमों को बदल दिया है।

सेना के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए विदेशी आतंकवादियों को अपने ठिकानों से बाहर निकलने को मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि घाटी में स्थानीय दहशतगर्दों की संख्या में कमी आ रही है। सेना की 15वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे ने यह भी कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में इस्तेमाल की जाने वाली हथियार प्रणालियों का कश्मीर तक पहुंचना एक चुनौती है।
 
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने यहां संवाददाताओं से कहा, “ये विदेशी आतंकवादी, उनमें से अधिकतर चुप थे। शुरुआत में वे स्थानीय युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों और आतंकवाद का चेहरा बना रहे थे। जैसे-जैसे स्थानीय आतंकवादियों की संख्या कम होने लगी, वे (विदेशी आतंकवादी) अब धीरे-धीरे (मुठभेड़ों के लिए) सामने आ रहे हैं।” जीओसी ने कहा कि विदेशी आतंकवादी कश्मीरी लोगों या गैर-स्थानीय लोगों के खिलाफ हमले करने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपने-अपने गुप्त ठिकानों से बाहर आने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जब वे बाहर आने लगे हैं तो अब उनका पर्दाफाश हो रहा है और (सुरक्षा बलों से) उनका सामना हो रहा है।’’ अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ उपकरणों के घाटी में पहुंचने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर सेना के अधिकारी ने कहा कि यह एक चुनौती है, लेकिन बहुत बड़ी नहीं है।

उन्होंने कहा, “ऐसे उपकरण, हथियार प्रणालियाँ हैं, जिनका उपयोग दुनिया के अन्य हिस्सों में किया गया है, उनका अंदर (कश्मीर घाटी) आना निश्चित रूप से एक चुनौती है। लेकिन हमने इस चुनौती से निपटने के लिए अपने अभियान तरीकों को बदल दिया है। वे (संबंधित उपकरण) पाए गए हैं और वे बहुत बड़ी संख्या में नहीं हैं। लेकिन निश्चित रूप से ये संकेतक हैं और हमने इन्हें मुठभेड़ों के बाद बरामद किया है… यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है।” नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशों का जिक्र करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि इस साल अब तक ऐसा केवल एक ही प्रयास हुआ है। उन्होंने कहा, “केवल एक प्रयास, जो सीमा पार से घुसपैठ करने के लिए किया गया था, उसे विफल कर दिया गया था और तब से कोई बड़ा प्रयास नहीं हुआ है। टोह लेने और कुछ हद तक प्रयास हुए हैं, लेकिन (घुसपैठ रोधी) ग्रिड के कारण, वे इस तरफ नहीं आ पाए हैं।”