नई दिल्ली।
केरल स्थित एक एनजीओ- रिलीफ एंड चैरिटेबल फाउंडेशन ऑफ इंडिया (आरसीएफआई) की पंजाब में कोई इकाई नहीं है। इसके बावजूद इस संस्था ने पंजाब के फरीदकोट जिले में तीन मस्जिदों के निर्माण के लिए फंडिंग की। पैसे को जम्मू-कश्मीर के रास्ते पहुंचाया गया। यह एनजीओ अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गया है। विदेशों में व्यक्तियों या संगठनों से प्राप्त धन को कश्मीर के बारामूला के दो निवासियों के माध्यम से डायवर्ट किया गया। दोनों ने कथित तौर पर मस्जिद निर्माण की निगरानी की और बिलों का भुगतान किया। 2015 से 2017 के बीच बनी ये मस्जिदें पाकिस्तान सीमा से 40-70 किमी के दायरे में स्थित हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरसीएफआई ने मस्जिदों के निर्माण के लिए 70 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय फंड का इस्तेमाल किया। एमएचए ने अगस्त 2021 में फंडिंग रोक दी थी। पंजाब पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने भी मामले को रेड फ्लैग किया था।
सीमावर्ती जिलों फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट में 200 से अधिक मस्जिदें हैं। सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई हाल ही में बनाए गए थे। सीमा के पास इनकी लोकेशन भी जांच का विषय है। आरसीएफआई के एक प्रवक्ता सलाम उस्ताद ने इस बात की पुष्टि की है कि संगठन की पंजाब में कोई इकाई नहीं है। उन्होंने दावा किया कि आरोपों का विस्तृत जवाब गृह मंत्रालय को पहले ही भेजा जा चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आरसीएफआई सामाजिक कार्यों में लिप्त संस्था है।
आरसीएफआई वेबसाइट के मुताबिक, यह 2000 में स्थापित एक प्रमाणित गैर-सांप्रदायिक संगठन है, जिसका मिशन जमीनी स्तर पर पिछड़े वर्गों के सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं को ऊपर उठाना है। इसमें मस्जिदों के निर्माण की बात का उल्लेख नहीं किया गया है। वेबसाइट के मुताबिक, "आरसीएफआई की उत्पत्ति सबसे अधिक हाशिए के समुदायों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। संगठन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के समर्थन से 24 राज्यों में लगभग 2.35 मिलियन लोगों तक सीधे पहुंच गया है।