सड़कों के लिए मिले पैसे को खर्च करने में कई राज्य पीछे

नई दिल्ली
राज्य सरकारों की एजेंसी पीडब्ल्यूडी की उपेक्षा के चलते प्रदेश की जिला और ग्रामीण सड़कों का विकास नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि देश के किसी राज्य ने इस मद में केंद्र से मिले धन का पूरा उपयोग नहीं किया है। यूपी, बिहार, झारखंड व उत्तराखंड के पास उक्त मद में 1110.06 करोड़ रुपये पड़ा है, जिसे एजेंसी खर्च नहीं कर पा रही है। केंद्र सरकार हर साल राज्यों की जिला, ग्रामीण सड़कों के विकास व सड़क सुरक्षा के लिए सेंट्रल रोड फंड (सीआरएफ) मद में धन जारी करती है।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बिहार को 2018-19 से लेकर 2021-22 वित्तीय वर्ष (चार साल) में 826 करोड़ रुपये सीआरएफ मद में जारी किए गए। राज्य सरकार 1 अप्रैल 2021 तक इस धन में से 245 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सकी है। झारखंड को 320.23 करोड़ रुपये भेजे गए। 583.83 करोड़ रुपये झारखंड पीडब्ल्यूडी के खजाने में पड़ा है, जिसे खर्च नहीं किया जा सका है।

यूपी का प्रदर्शन काफी ठीक : इस मामले में यूपी का प्रदर्शन काफी ठीक है, चार साल में यूपी को 2388 करोड़ रुपये जारी हुए। इनमें से महज 6.33 करोड़ रुपये बचा हुआ है। जबकि उत्तराखंड को 88 करोड़ जारी हुए और राज्य के खाते में 274 करोड़ रुपये सड़कों के विकास, सड़क सुरक्षा पर खर्च नहीं किए जा सके हैं। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सीआरएफ का पैसा हर साल राज्यों को जारी किया जाता है। इस मद में आवंटित धन उक्त वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं होने पर अगले साल के लिए जारी कर दिया जाता है।

राज्य सरकार भेजती है प्रस्ताव
जानकारों का कहना है कि जिला और ग्रामीण सड़कों के विकास का वार्षिक प्रस्ताव राज्य सरकार सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के पास भेजती है। इसमें जर्जर सड़कों की मरम्मत, गड्ढे ठीक करने, चौड़ीकरण, सर्विस रोड बनाने, पैदल यात्रियों व वाहनों के लिए अंडरपास-ओवरपास का निर्माण, डिवाइडर, रेलिंग, जंक्शन में सुधार, साइन बोर्ड आदि कार्य से जुड़े प्रस्ताव होते हैं। मंत्रालय हर तिमाही में राज्यों को सीआरएफ का पैसा जारी करती है। इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी अपने ही बनाए गए प्रस्ताव को पूरा करने में पैसा खर्च नहीं करती है। इसका खामियाजा सड़क यात्रियों को उठाना पड़ता है। जर्जर सड़कें और गड्ढों के कारण सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है।

जिला-ग्रामीण सड़कों के लिए 2017 में बदले नियम
अधिकारियों ने बताया कि पूर्व में सीआरएफ का पैसा सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों व रेल ओवर ब्रिज-अंडर ब्रिज पर खर्च किया जाता था। लेकिन सरकार ने 2017 में नियम बदल दिए। जिससे ग्रामीण सड़कें, जिला सड़कें, अन्य सड़कों का विकास व मरम्मत हो सके। सीआरएफ का 10 फीसदी पैसा रोड सेफ्टी इंजीनियरिंग कार्यों पर खर्च करना अनिवार्य है।