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चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में बदला मिड-डे मिल का मैन्यू, राजमाह चावल के साथ मिलने लगा सांभर

चंडीगढ़
चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से लेकर 8वीं कक्षा तक के बच्चों को मिड-डे मिल अब स्कूलों में ही बन रहा है। कोरोना महामारी के दौरान मिड डे मील बंद कर दिया गया था। कोरोना के बाद जैसे स्कूल दोबारा से शुरू हुए तो मिड डे मील शहर के विभिन्न होटलों में बनाया जा रहा था, लेकिन अब स्कूलों में फिर से मिड-डे मील बनने लगा है। चंडीगढ़ में 116 सरकारी स्कूल हैं और इन स्कूलों में 90 हजार स्टूडेंट्स को मिड डे मील का खाना दिया जा रहा है। स्कूल में पककर मिलने वाले मील में विद्यार्थियों को पौष्टिक खाना देने के साथ स्वादिष्ट खाने पर भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। अभी यह मिड डे मिल शहर के 15 स्कूलों में पकाया जा रहा है। वहां से दूसरे स्कूलों में भी भेजा जाता है। शिक्षा विभाग ने पूरे हफ्ते का मैन्यू तैयार किया है और हर दिन अलग-अलग तरह का खाना तैयार हो रहा है। विद्यार्थियों को चावल के साथ सांभर, काले और सफेद चने, कड़ी और महीने में एक दिन खीर, हलवा, दलिया या फिर मीठे चावलों का भी स्वाद मिलने लगा है।

सप्ताह का मैन्यू
दिन                        मैन्यू
सोमवार        खिचड़ी, दाल चावल और चपाती
मंगलवार        सफेद चना, चावल और चपाती
बुधवार          सांभर और चावल
वीरवार          कड़ी और चावल
शुक्रवार         राजमाह चावल
शनिवार         काले चने, चावल, न्यूट्री पुलाव
स्वीट डीश- खीर, हलवा, दलिया, मीठे चावल महीने में एक दिन अनिवार्य।

होटल शिवालिक व्यू, पार्क व्यू होटल और सेक्टर-42 के होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में तैयार होता था मिड-डे मील
कोरोना महामारी से पहले विद्यार्थियों को मिलने वाला मिड डे मील सिटको के हाेटल सेक्टर-17 स्थित शिवालिक, पार्क व्यू सेक्टर-24 और चंडीगढ़ कालेज सेक्टर-42 से पककर मिलता था। होटलों से पककर आने वाले खाने को विद्यार्थी खाने में कम पसंद करते थे जिसे देखते हुए खाने को होटलों से बंद करके शहर के स्कूलों में बनी किचन में बनाने का निर्णय लिया था। इस समय विभाग के पास 15 रसोई चल रही है और हर रसोई में काम करने के लिए 20 से 25 सदस्यों का स्टाफ भी नियुक्त किया गया है जो कि सुबह पांच बजे से खाना बनाना शुरू करता है और स्कूलों में पहुंचाने का काम करता है।

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