मां को करियर और बच्चे में से, एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते -बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी भी मां को करियर और बच्चे के बीच, किसी एक को चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने फैमली कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए एक महिला को अपने साथ बच्चे को पोलैंड ले जाने की इजाजत दे दी. ये महिला पुणे की एक कंपनी में काम करती है. कंपनी ने उन्हें पोलैंड में सीनियर पोजिशन ऑफर किया है. पति ने अपनी बेटी के विदेश जाने पर आपत्ति जताई थी.

मां इंजीनियर हैं और वो अपनी 9 साल की बेटी के साथ साल 2015 से अलग रह रही हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि वो अपनी बच्ची का अच्छे से देखभाल कर रही हैं. ऐसे में ये उसके पढ़ाई के लिए जरूरी है. हाईकोर्ट की जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल बेंच ने 8 जुलाई के अपने आदेश में महिला को नाबालिग बेटी के साथ पोलैंड जाने की अनुमति दे दी. साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें पिता से भी मिलने के लिए नहीं रोका जाएगा. अदालत ने महिला को छुट्टियों के दौरान अपनी बेटी के साथ भारत आने का निर्देश दिया. जिससे कि पिता उससे फिजिकल तौर पर भी मिल पाए.

मांगी थी बेटी की कस्टडी
 महिला अपने पति से तलाक लेना चाहती है. पुणे के फैमिली कोर्ट में उन्होंने अपनी नाबालिग बेटी की कस्टडी मांगी थी. साथ ही याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी के साथ पोलैंड की यात्रा करने और वहां शिफ्ट होने की अनुमति भी मांगी थी. लेकिन पति ने इस पर आपत्ति जताई थी.

फैमली कोर्ट ने लगाई थी रोक
फैमिली कोर्ट ने पति को राहत दे
ते हुए पत्नी को अपनी बेटी के साथ भारत से बाहर ले जाने से रोक दिया था. इसके अलावा, कोर्ट ने पत्नी को अपने पति की सहमति के बिना बेटी के स्कूल को बदलने से भी मना कर दिया था. याचिकाकर्ता ने इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

हाईकोर्ट में पति के वकील ने क्या कहा
पति के वकील ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि अगर बच्ची को उनसे दूर किया गया तो फिर वो उसे दोबारा नहीं मिल पाएंगे. इसके अलावा रूस और यूक्रेन युद्ध की भी चर्चा की गई. कहा गया कि इस जंग के चलते पोलैंड के हालात खराब हैं. लेकिन अदालत ने कहा कि वो पत्नी को अपने करियर को आगे बढ़ाने के अवसर से रोक नहीं सकते. कोर्ट ने कहा कि बच्ची अभी छोटी है और नए माहौल में ढल सकती है.