खरीफ फसलों की बुवाई खत्म होने की कगार पर

नई दिल्ली । खरीफ फसलों की बुवाई लगभग खत्म होने को हैं, धान की बुवाई लगातार पिछड़ रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले 5.51 प्रतिशत गिरकर 401.56 लाख हेक्टेयर रह गया है।
धान के अलावा दलहन, तिलहन और जूट/मेस्ता की बुवाई में मामूली अंतर आया है। इस तरह खरीफ फसलों के तहत कुल बुवाई क्षेत्र 1.24 प्रतिशत घटकर 1,097.57 लाख हेक्टेयर रही है। यह आंकड़ा एक साल पहले की समान अवधि में 1,111.36 लाख हेक्टेयर था। खरीफ फसलों की बुवाई जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून आने के साथ शुरू हो गई थी। वहीं कुछ खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो गई है और यह सिलसिला पूरे अक्टूबर में जारी रहेगा।
कृषि मंत्रालय ने बुवाई के ताजा आंकड़े जारी कर कहा कि धान का रकबा 5.51 प्रतिशत घटकर 401.56 लाख हेक्टेयर रहा, जो फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र में 425 लाख हेक्टेयर था। बयान में कहा गया कि झारखंड (9.32 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (6.32 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (3.65 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (2.48 लाख हेक्टेयर) और बिहार (1.97 लाख हेक्टेयर) में धान का रकबा घटा है।
साथ ही असम, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, मेघालय, ओडिशा, नागालैंड, पंजाब, गोवा, मिजोरम, सिक्किम और केरल में भी धान का रकबा घटा है। बारिश कम होने से धान की फसल प्रभावित हुई है। कृषि मंत्रालय ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में खरीफ धान के उत्पादन में छह प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है और यह 10.50 करोड़ टन रह सकता है। मंत्रालय ने कहा कि दलहन की बुवाई में भी मामूली कमी आई है। मौजूदा खरीफ सत्र में अब तक कुल रकबा 132.83 लाख हेक्टेयर रहा है, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह 138.29 लाख हेक्टेयर था। इस दौरान अरहर, उड़द, मूंग, कुल्थी और अन्य दलहनों का रकबा घटा।
इसी क्रम में अभी तक तिलहन का रकबा 191.75 लाख हेक्टेयर है, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 193.28 लाख हेक्टेयर था। मुख्य रूप से मूंगफली और सोयाबीन की बुवाई में कमी के कारण तिलहन का रकबा घटा है। खरीफ सत्र में अब तक मोटे अनाज की बुवाई 181.43 लाख हेक्टेयर में अधिक रही, जो एक साल पहले इसी अवधि में 174.05 लाख हेक्टेयर थी। इस तरह मोटे अनाज का रकबा बढ़ा है। नकदी फसलों में कपास और गन्ने का रकबा मामूली रूप से बढ़ा है।

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