दिवालिया हो सकता है पाकिस्तान, इस महीने होगा डिफॉल्टर, शहबाज करेंगे सऊदी-चीन का आपात दौरा

इस्लामाबाद
जब इमरान खान विपक्ष में थे, उस वक्त वो नवाज शरीफ को विदेशों से भीख मांगने पर कोसा करते थे, फिर इमरान प्रधानमंत्री बने, तो उन्हें विदेशों से भीख मांगने के लिए शहबाज शरीफ ने कोसना शुरू कर दिया और अब जब शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने हैं, तो उन्होंने भी पाकिस्तान की भीख मांगने की परंपरा को अपनी प्रतिष्ठा धूल में मिलाकर आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। एशिया टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, शहबाज शरीफ बहुत जल्द चीन और सऊदी अरब की यात्रा करने वाले हैं और इस दौरान वो दोनों देशों से भारी भीख मांगेगे।
 
चीन, सऊदी जाएंगे शहबाज
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के जल्द ही चीन और सऊदी अरब की यात्रा करने की उम्मीद है ताकि संभावित डिफ़ॉल्ट को रोकने के लिए तत्काल वित्तीय सहायता की मांग की जा सके। पाकिस्तान को इस साल जून के अंत में 2.5 अरब लर का विदेशी ऋण चुकाना है, लेकिन पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इतने पैसे नहीं बचे हैं, कि वो विदेशी कर्ज का किश्त चुका सके और अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है, तो फिर वो डिफॉल्टर घोषित हो जाएगा। फिच रेटिंग्स ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में आशंका जताते हुए कहा था, कि सरकार में हालिया बदलाव ने वैश्विक कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी और कई उभरते बाजारों में "वैश्विक जोखिम से बचने" के बीच पाकिस्तान की आर्थिक और वित्तीय अनिश्चितता को और बढ़ा ही दिया है और इसका असर सीधे तौर पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
 

पाकिस्तान की स्थिति समझिए
पाकिस्तान की इस वक्त स्थिति ये है, कि वित्तीय वर्ष 2023 तक पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है, जिसमें 4.5 अरब डॉलर का कर्ज चीन और संयुक्त अरब अमीरात के द्वारा रोलओवर किया जा चुका है। वहीं, इस साल फरवरी महीने तक, पाकिस्तान के पास आधिकारिक तौर पर 21.6 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, लेकिन, पाकिस्तान के पास जो विदेशी मुद्रा भंडार बचा भी है, उसमें से ज्यादातर धनराशि तक उसकी पहुंच ही नहीं है, लिहाजा पाकिस्तान पर लगातार डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है, कि अगर सऊदी अरब और चीन इस बार पाकिस्तान को कर्ज देता भी है, जिसकी उम्मीद काफी कम है, फिर भी पाकिस्तान सिर्फ एक साल ही और बचा रह सकता है।
 
क्यों संकट में फंसा पाकिस्तान?
फिंच रेटिंग्स रिपोर्ट में कहा गया है कि, पाकिस्तान का व्यापार घाटा काफी ज्यादा बढ़ चुका है, जिसकी वजह से पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर काफी तेजी से बाहर निकला है और इसका असर पाकिस्तान की स्थानीय करेंसी रुपये पर हुआ है और रुपये का मूल्य गिरकर 180 तक पहुंच चुका है। यानि, एक तरफ रुपये का वैल्यू काफी ज्यादा गिर जाना और दूसरी तरफ भारी भरकम कर्ज चुकाना… इन दो मुख्य वजहों से पाकिस्तान की प्रमुख स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के 'लिक्विड फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व' पर भारी दवाब पड़ा जो फरवरी के अंत और 1 अप्रैल 2022 के बीच 5.1 अरब डॉलर से गिरकर 11.3 अरब डॉलर हो गया है।
 
हद से ज्यादा बढ़ेगी महंगाई
पाकिस्तान में स्थिति ये चुकी है, डॉलर के मुकाबले रुपया अभी और भी ज्यादा गिरेगा और कुछ दिनों में एक डॉलर का वैल्यू 200 रुपये को पार कर जाएगा। इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है, कि पाकिस्तान की औसत मुद्रास्फीति 2022 में 11.2% तक पहुंच जाएगी, जो पिछले साल 8.9% थी। इतना ही नहीं, आईएमएफ ने पाकिस्तान को लेकर और भी चिंताजनक अनुमान लगाया है। आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि, पाकिस्तान का चालू खाता घाटा, उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.3% है, जो पिछले वित्त वर्ष के 0.6% से काफी ज्यादा हो गया है और पाकिस्तान की आर्थिक सेहत के लिए ये काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है और देश को दिवालिया होने की तरफ ले जा सकता है।