नई दिल्ली
एम्स में दिल की जन्मजात बीमारी से पीड़ित कई बच्चों को पांच साल बाद तक की सर्जरी की तारीख दी जा रही है। एक बच्चे की सर्जरी के लिए चार साल पहले खून और पैसे जमा करा लिए गए, लेकिन अब तक सर्जरी की तारीख नहीं दी गई है। मामला एम्स के कार्डिओ थोरोसिक विभाग का है। नोएडा में डिलिवरी बॉय का काम करने वाले रमेश गुप्ता ने छह साल के बेटे आयुष की सर्जरी के लिए वर्ष 2018 में पैसे और चार इकाई खून जमा कराया था। लेकिन उन्हें सर्जरी की तारीख का अबतक इंतजार है।
दिल में है सुराख
रमेश ने बताया कि उनका बेटा आयुष गुप्ता जन्म से दिल की वीएसडी बीमारी से पीड़ित है। उसके दिल में सुराख है और बाएं और दाएं ओर जुड़ने वाली रक्तवाहिनी गलत तरीके से जुड़ी हैं। इससे दिल में ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त और बिना ऑक्सीजन वाला अशुद्ध रक्त आपस में मिलने का खतरा होता है। रमेश ने बताया कि 2016 में बच्चे के दिल में सुराख का पता चला तो एम्स में इलाज शुरू किया। कुछ दिन बाद डॉक्टर ने सर्जरी के लिए पैसे और खून जमा करने के लिए कहा गया।
60 हजार रुपये किए थे जमा
पांच जुलाई 2018 को उन्होंने सर्जरी के लिए 60 हजार रुपये और चार इकाई रक्त जमा कराया था। तब से वे हर 15 दिन में एक बार एम्स में जाते हैं लेकिन सर्जरी की तारीख नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि बेटा बेहद कमजोर हो गया है। उसका शरीर नीला पड़ गया है।
2026 में सर्जरी की तारीख
गुरुग्राम निवासी विक्रांत शर्मा की पांच महीने की बेटी के दिल में भी सुराख है। बड़ा छेद दिल में होने की वजह से बच्ची का फेफड़ा प्रभावित हो रहा है। बतौर विक्रांत डॉक्टरों का कहना है कि कुछ महीने में ही बेटी की सर्जरी जरूरी है, लेकिन पिछले साल दिसंबर में एम्स में सर्जरी के लिए अक्तूबर 2026 की तारीख मिली है। मामले पर एम्स प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया लेकिन जवाब नहीं मिला।
इलाज न मिलने पर शरीर नीला पड़ने लगता है
एम्स के डॉक्टर के मुताबिक, दिल के दो चैंबर के बीच छेद होने से खून शरीर की तरफ जाने के बजाय एक चैंबर से दूसरे की तरफ जाता है। इसे वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट कहा जाता है। जब छेद की वजह से शुद्ध खून, अशुद्ध रक्त में मिलकर शरीर में प्रवाहित होता है तो बच्चे के मुंह, कान, नाखून और होठों पर नीलापन दिखने लगता है। कुछ बच्चों में यह समस्या बेहद गंभीर होती है। उनके फेफड़ों में भी इसकी वजह से संक्रमण होने लगता है और शरीर नीला पड़ने लगता है। इससे जान पर बन आती है। ऐसे बच्चों को जल्द सर्जरी की जरूरत होती है।
अस्पताल में बेड खाली नहीं
यूपी के फर्रूखाबाद निवासी सत्येंद्र सिंह के बेटे के दिल में सुराख है। सर्जरी से बंद किया जाना है। जीबी पंत अस्पताल ने दो साल पहले बच्चे को जल्दी सर्जरी कराने की बात कहकर एम्स रेफर किया था। सत्येंद्र ने कहा कि पिछले साल अप्रैल में सर्जरी की तारीख मिली थी, लेकिन सर्जरी नहीं हुई। इसके बाद छह अप्रैल 2022 को भर्ती करने के लिए उन्हें दोबारा तारीख मिली, लेकिन अबतक भर्ती नहीं किया जा सका। हर बार बेड खाली न होने की बात कही जाती है।