नई दिल्ली
पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए संपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य को लगातार दूसरी बार रेलवे हासिल करने में नाकाम दिख रहा है। मोदी सरकार की ओर रेलवे को 57,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन रेलवे केवल 30,000 करोड़ रुपये ही जुटा सका। रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे टारगेट को इसलिए प्राप्त नहीं कर पा रहा है, क्योंकि वह निजी क्षेत्र को ट्रेनें चलाने या पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से स्टेशनों का आधुनिकीकरण नहीं कर सका है।
पिछले साल मोदी सरकार ने राष्ट्रव्यापी संपत्ति मुद्रीकरण के लिए 6 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य किया था, जिसमें से रेलवे को 17,810 करोड़ रुपये का टारगेट मिला था, लेकिन वह केवल 800 करोड़ रुपये की ही कमाई कर सका, यानी टारगेट का केवल 4.5 प्रतिशत। हालांकि, ओवरऑल लक्ष्य की प्राप्ति के लिहाज से भारत सरकार के लिए नतीजे अच्छे रहे, क्योंकि उसने 88000 करोड़ का टारगेट रखा था और उसे 96,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए।
भारत सरकार ने इस वर्ष के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये के मुद्रीकरण का लक्ष्य रखा है। केंद्र को माइनिंग सेक्टर से बहुत उम्मीदें हैं, जो कि अतिरिक्त संपत्ति मुद्रीकरण में लगातार बड़ा योगदान दे रहा है। केंद्र ने कोयले और खदानों के लक्ष्य को साढ़े पांच गुना बढ़ाकर – 6,000 करोड़ रुपये से 33,281 करोड़ रुपये कर दिया है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए अभी तक कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है, हालांकि रिजॉर्ट अशोक जैसी संपत्तियों के पुनर्विकास के प्रस्तावों पर सरकार काम कर रही है।
वित्त मंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटेरिएट दोनों ही रेलवे को लगातार लक्ष्य की ओर ध्यान दिलाते रहे, लेकिन जिस तरह से उसने प्रदर्शन किया है, उससे दोनों ही विभाग बेहद अचंभे में हैं। रेलवे को प्राइवेट सेक्टर के साथ भागीदारी पर जिस प्रकार से काम करना चाहिए था, वह नहीं कर पा रहा है। रेलवे स्टेशनों के डिवेलपमेंट को लेकर वर्षों से डिस्कशन चल रहा है, लेकिन इस फ्रंट पर अभी तक कुछ ठोस नहीं हो पा रहा है।