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रिपोर्ट में खुलासा-इस साल 3 महीने से ज्यादा दिन जहरीली हवा में सांस लेते रहे दिल्ली-एनसीआर वाले

नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली और गाजियाबाद के लोगों ने इस वर्ष सबसे ज्यादा दिन खराब हवा में सांस ली है। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) के विश्लेषण के मुताबिक इस साल नवंबर महीने तक गाजियाबाद के लोगों ने कुल 108 दिन बेहद खराब या गंभीर श्रेणी की हवा में सांस ली। वहीं दिल्ली के लोगों के लिए ऐसे दिनों की संख्या 94 रही। तमाम प्रयासों के बाद भी दिल्ली-एनसीआर के लोगों को प्रदूषण से राहत नहीं मिल रही है। इस वर्ष खास तौर पर दीपावली के बाद से पूरे इलाके को भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी प्रदूषण के आंकड़ों के आधार पर सीएसई ने अलग-अलग शहरों के प्रदूषण स्तर का विश्लेषण किया है।

इसके मुताबिक गाजियाबाद के लोगों ने सबसे अधिक दिनों तक प्रदूषण भरी खराब हवा में सांस ली। नवंबर तक गाजियाबाद में 108 दिन ऐसे रहे, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 अंक के ऊपर रहा। वहीं दिल्ली में ऐसे दिन 94 रहे हैं। एनसीआर के अन्य शहरों का हाल भी इससे अलग नहीं है। फरीदाबाद में इस तरह के 75 और गुरुग्राम में 73 दिन रहे हैं।
 
विश्लेषण से यह भी पता चला कि एनसीआर के बाहर मौजूद उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहरों की हवा भी खास अच्छी नहीं है। कानपुर में 73, लखनऊ 68 और आगरा में 57 दिन ऐसे रहे, जब लोगों ने बेहद खराब या गंभीर श्रेणी की हवा में सांस ली। यहां तक कि हिसार जैसे शहरों की हवा भी खास साफ-सुथरी नहीं रही। यहां नवंबर तक 74 दिन ऐसे रहे, जब लोगों ने खराब हवा में सांस ली है।

 
क्या हैं इसके मायने
वायु गुणवत्ता सूचकांक के मानकों के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 अंक तक हो तो हवा को फिर भी सांस लेने लायक माना जाता है। लेकिन सूचकांक इससे ऊपर होते ही हवा खराब स्तर यानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वाली श्रेणी में पहुंच जाती है। 301 से लेकर 400 अंक तक के वायु गुणवत्ता सूचकांक को बेहद खराब और 400 से 500 तक के सूचकांक को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है।
स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है ऐसी हवा

केंद्र सरकार की संस्था सफर की ओर से हवा का स्तर बेहद खराब होने पर विशेष स्वास्थ्य परामर्श जारी किया जाता है। इसके मुताबिक लोगों को घर के रहने और खुले में ज्यादा मेहनत वाली गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है। सांस और हृदय की बीमारियों से पहले से पीड़ित लोगों को दवा साथ लेकर चलने को कहा जाता है। जितने ज्यादा दिन लोग खराब हवा में सांस लेते हैं, उनके स्वास्थ्य को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचता है।

छह राज्यों के 56 शहरों की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण
सीएसई में वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ अविकल सोमवंशी के मुताबिक इस रिपोर्ट में देश के छह राज्यों के कुल 56 शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक का विश्लेषण किया गया है। हालांकि, बहुत सारी जगहों पर वायु गुणवत्ता का डाटा पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद इस विश्लेषण से पता चलता है कि प्रदूषण की समस्या एक बड़े क्षेत्र में बनी हुई है।

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