रूस का बड़ा आरोप, नाटो देशों के जरिए हमारी घेराबंदी करना चाहता है अमेरिका

 नई दिल्ली।
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से के दोनेत्सक और लुहान्सक को अलग देश की मान्यता देने के बाद रूस ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने सोवियत संघ के विघटन के साथ ही यूक्रेन समेत अलग हुए देशों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप कर दखल देना शुरू कर दिया था। अमेरिका ने इन देशों को रूस के खतरे का भय दिखाकर ऐसा भू-राजनीतिक अखाड़ा बनाया, जिसका मकसद नाटो देशों के जरिए रूस की घेराबंदी करना था। रूस की तरफ से बुधवार को कहा गया है कि अमेरिका ने नाटो के विस्तार नहीं करने की प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया है। रूस का कहना है कि हाल के दिनों में अमेरिका की तरफ से बार-बार आरोप लगाए जा रहे हैं कि रूस, यूक्रेन पर हमला करने वाला है, लेकिन रूस ने अभी तक हमला नहीं किया है। रूस का कहना है कि उसने अब तक जो कार्रवाई की है, वो सब अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत की गई है। ज्ञात रहे कि यूक्रेन की अमेरिका और यूरोप से नजदीकी ही इस विवाद का एक प्रमुख कारण बना है।

लोगों के आत्मनिर्णय का सम्मान
रूस ने पूर्वी यूक्रेन के अशांत क्षेत्र दोनेत्सक और लुहान्सक को अलग देश के रूप में मान्यता प्रदान की है और वहां अपनी सेनाएं भेज दी हैं। दिल्ली स्थिति रूसी दूतावास की तरफ से कहा गया है कि रूस का यह कदम पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप है, जिसमें आत्मनिर्णय का सिद्धांत भी शामिल है। क्रीमिया के मामले में भी उसने यही किया था। जिस क्षेत्र को अलग गणराज्य की मान्यता दी गई है, वह वैसे भी यूक्रेन के नियंत्रण से बाहर था। रूस का कहना है कि यह वहां के लोगों के आत्मनिर्णय का सम्मान है।
 

रूस का आरोप, अमेरिका ने अरबों किए खर्च
रूस ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने पूर्व में यूक्रेन में रूस समर्थक सरकार का तख्ता पलट करने के लिए पांच अरब डॉलर की राशि खर्च की थी और वो अपने मकसद में कामयाब भी हुआ और यूक्रेन में अमेरिका ने रूस विरोधी सरकार की स्थापना की, जिसने मिंस्क समझौते का पालन करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जबकि 2014 से अब तक इस समझौते को लागू करने के लिए उसके पास पर्याप्त समय था। लेकिन अमेरिका, यूक्रेन में नाटो के विस्तार, उसे बड़े पैमाने पर हथियारों की आपूर्ति और वहां रूस विरोधी युद्धाभ्यास में जुटा रहा।

अमेरिका को नहीं कोई अधिकार
रूस ने कहा कि अमेरिका और पश्चिमी देशों को कोई अधिकार नहीं है कि वह उसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन का दोषी ठहराए, उनके पास ऐसा करने का कोई नैतिक आधार नहीं है। वे स्पष्ट रूप से वही हैं जो एकतरफा प्रतिबंधों का उपयोग करके, घरेलू मामलों में हस्तक्षेप कर, शासन परिवर्तन नीति का अभ्यास करके अंतरराष्ट्रीय कानून और व्यवस्था को गंभीर रूप से कमजोर करते हैं। रूस ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वे इराक, लीबिया और सीरिया सहित सैन्य हस्तक्षेपों के लिए विभिन्न अप्रासंगिक बहाने भी इस्तेमाल करते हैं। वे बिना सुबूतों के सोशल मीडिया रिपोर्ट या खुफिया रिपोर्ट के आधार पर अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन करते हैं तथा ऐसी रिपोर्ट के निष्कर्ष को कभी साझा नहीं करते।