उज्जैन
लाउडस्पीकर को लेकर देशभर में शुरू हुई बहस में उज्जैन के संत भी कूद पड़े हैं। उज्जैन के महामंडलेश्वर और आह्वान अखाड़े के संत अतुलेशानंद और डॉ. स्वस्तिक पीठाधीश्वर अवधेश पुरी महाराज ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने कहाकि मस्जिदों की ऊंची-ऊंची मीनारों से आठ-आठ लाउडस्पीकर लगाकर तेज आवाज में दिन में पांच बार अजान की आवाज आती है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर के ऊपर चलने वाला तुरई लाउडस्पीकर पिछले कई साल से बंद हैं।
कहा-हार्ट पेशेंट्स को होती है दिक्कत
संतों ने कहाकि इसके चलते महाकाल मंदिर के नजदीक जाने पर भी अजान की आवाज तो आती है, लेकिन महाकाल की भस्मआरती की नहीं। इसलिए महाकाल मंदिर के विकास पर हजारों करोड़ खर्च करने वाले प्रशासन को चाहिए कि हिंदुओं के साथ इस प्रकार का भेदभाव न करे। उन्होंने कहाकि तेज बजते लाउडस्पीकर से विद्यार्थी ही नहीं हार्ट पेशेंट्स भी परेशान होते हैं।
होटलों पर भी सवाल
आह्वान अखाड़े के महामंडलेश्वर अतुलेशानंद ने मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर के साथ महाकाल मंदिर के बाहर मुस्लिम समाज के होटलों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहाकि मंदिर के आसपास करीब 180 होटल ऐसे हैं जो मुस्लिम-हिन्दू नाम से चला रहे हैं। संतों ने शासन से निवेदन किया है कि नाम हिंदी में करने के साथ मालिकों के नाम व नंबर स्पष्ट रूप से भी बोर्ड पर दर्शाए जाएं। संत ने चेतावनी दी है कि मांग नहीं मानी जाती तो हर हिंदू के घर लाउडस्पीकर फुल वॉल्यूम में बजेगा।