नई दिल्ली।
भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा बहुत कड़ी और कई घेरों वाली होती है। इसका प्रमुख दारोमदार एसपीजी पर होता है। अन्य एजेंसियों का सहयोग मिलता है। इनमें एनएसजी कमांडो, स्थानीय पुलिस, अर्धसैन्य बल की टुकड़ी और केंद्र व राज्य की खुफिया एजेंसियों को भी शामिल किया जाता है। भारत के प्रधानमंत्री को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की होती है।
अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक प्रशिक्षण
प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है। ये शूटर एक सेकंड के अंदर आतंकियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं। इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। एसपीजी के जवानों के पास एमएनएफ -2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार हैं।
पुलिस की भी होती है भूमिका
एसपीजी के अलावा पुलिस भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है। हजारों पुलिस के जवान चप्पे चप्पे पर तैनात किए जाते हैं। प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यक्रमों में एसपीजी के मुखिया खुद मौजूद रहते हैं। यदि किसी कारण से मुखिया अनुपस्थित रहता है, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन उच्च पद के किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है। जब प्रधानमंत्री अपने आवास से सभा में शामिल होने के लिए बाहर निकलते हैं तो पूरे मार्ग का एक तरफ का यातायात 10 मिनट के लिए बंद कर दिया जाता है। इस बीच, पुलिस के दो वाहन सायरन बजाकर मार्ग पर गश्त करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जिस मार्ग से प्रधानमंत्री गुजरेंगे, वह पूरी तरह से बाधारहित हो।
एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री के काफिले में 2 बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज सेडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स 5 और एक मर्सिडीज बेंज एंबुलेंस के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन मौजूद होते हैं। इनके अलावा, एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले के साथ चलता है। प्रधानमंत्री के काफिले के ठीक आगे और पीछे पुलिस के सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां होती हैं। बाईं और दाईं ओर दो और वाहन होते हैं और बीच में प्रधानमंत्री का बुलेटप्रूफ वाहन होता है।
डमी कार भी काफिले का हिस्सा
हमलावरों को गुमराह करने के लिए काफिले में प्रधानमंत्री के वाहन के समान दो डमी कारें शामिल होती हैं। जैमर वाहन के ऊपर कई एंटीना होते हैं। ये एंटीना सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज में सक्षम होते हैं। इन सभी कारों पर एनएसजी के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है। इसका तात्पर्य यह है कि सुरक्षा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के साथ लगभग 100 लोगों का एक दल होता है। जब प्रधानमंत्री चलते हैं, तब भी वे वर्दी के साथ-साथ सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं।
क्या है रूट का प्रोटोकॉल
– हमेशा कम से कम दो रूट तय होते हैं
– किसी को रूट की पहले जानकारी नहीं होती
– अंतिम समय में एसपीजी रूट तय करती है
– किसी भी समय एसपीजी रूट बदल सकती है
-एसपीजी और राज्य पुलिस में कोऑर्डिनेशन रहता है
-राज्य पुलिस से रूट क्लियरेंस मांगी जाती है
– पूरा रूट पहले से साफ किया जाता है