नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS) के लिए आरक्षण के साथ नीट-पीजी काउंसलिंग की इजाजत दे दी है। अदालत ने नीट-पीजी एडमिशन में ओबीसी आरक्षण को सही ठहराते हुए कहा कि काउंसलिंग तत्काल शुरू करना जरूरी है। कोर्ट ने मौजूदा सत्र के लिए EWS कैटिगरी में आठ लाख सालाना आय का पैमाना बरकरार रखते हुए काउसंलिंग की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने EWS में 8 लाख के क्राइटेरिया पर आगे बहस के लिए मार्च की तारीख तय की। आइए समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मायने क्या हैं।
हजारों कैंडिडेट्स को मिली राहत
अदालत ने कहा कि NEET PG 2021 और NEET UG 2021 की काउंसलिंग उसी आधार पर होगी, जो 29 जुलाई 2021 के नोटिस में बताया गया था। यानी OBC कैटिगरी को 27% आरक्षण और EWS कैटिगरी के कैंडिडेट्स को 10% आरक्षण जारी रहेगा। EWS का पैमाना वही होगा जो 2019 के ऑफिस मेमोरेंडम में बताया गया था। SC के इस फैसले से एडमिशन की राह देख रहे हजारों कैंडिडेट्स को राहत मिली है। 27 नवंबर से नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 को कई बार स्थगित किया। इसकी वजह से मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टरों के नए बैच का प्रवेश अटक गया था।
फौरन खत्म होगी रेजिडेंट्स की हड़ताल
नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग में हो रही देरी के खिलाफ देशभर में रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे थे, अब उनकी हड़ताल खत्म हो जाएगी। जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल से दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा। कोविड-19 के नए वेरिएंट के खतरे के बीच, इस हड़ताल का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ता। दिग्गज हेल्थ एक्सपर्ट्स ने भी जल्द से जल्द काउंसलिंग शुरू करने की गुहार लगाई थी।
EWS : 8 लाख की आय सीमा पर भी फैसला जल्द
सुप्रीम कोर्ट दो महीने बाद EWS कैटिगरी के लिए 8 लाख रुपये की सालाना आय के पैमाने पर भी विचार करेगा। अजय भूषण पांडेय समिति ने जो पैमाना तय किया था, फिलहाल उसी के आधार पर एडमिशंस होंगे। 8 लाख रुपये आय का पैमाना तार्किक है या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट मार्च-अप्रैल में तय करेगा।
केंद्र के फैसले को SC में दी गई थी चुनौती
केंद्र सरकार ने 29 जुलाई 2021 को नोटिफिकेशन जारी कर नीट परीक्षा में ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी को 27 फीसदी और आर्थिक तौर पर कमजोर स्टूडेंट को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। काउंसलिंग में देरी के कारण रेजिडेंट्स डॉक्टरों के प्रोटेस्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने अर्जी दाखिल कर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी।