नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट्स में वर्चुअल हियरिंग अनिवार्य करने से इनकार कर दिया है। SC ने शुक्रवार को कहा कि वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को वर्चुअल सुनवाई अनिवार्य करने का निर्देश नहीं दे सकता है। जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हाई कोर्ट हमारे अधीन नहीं हैं। प्रत्येक उच्च न्यायालय के अपने अधिकार क्षेत्र में बहुत ही अजीबोगरीब शर्तें होती हैं। हम उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश को आदेश जारी नहीं कर सकते हैं कि आप केवल वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर काम करेंगे।" इस मामले की बेंच में जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान आने वाली गंभीर समस्याओं के मद्देनजर वर्चुअल हियरिंग शुरू की। अब इस मुद्दे को हल करने के लिए इसे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
यह हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को तय करने का मामला
पीठ ने कहा, "हम नहीं जानते कि कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लोकल बार का स्टैंड क्या है। राज्य सरकार की ओर से किस प्रकार की सहायता उपलब्ध है। इन मुद्दों को प्रशासनिक पक्ष से निपटना होगा। यह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को तय करने का मामला है।"
कोरोना के चलते कामकामज के घंटे घटाए गए
अदालत वकील घनशम उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के जनवरी के सर्कुलर को चुनौती दी गई थी, जिसमें कोविड-19 की तीसरी लहर के कारण मुंबई में कामकाज को केवल तीन घंटे तक सीमित कर दिया गया था। उपाध्याय ने यह भी मांग की कि महाराष्ट्र की सभी अदालतों को वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर भी काम करना चाहिए।
वर्चुअल हियरिंग को लागू करने के लिए ढांचागत सुविधाएं जरूरी
अदालत ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूरे काम के घंटे- सुबह 10.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक वापस शुरू कर दिए हैं। ऐसे में काम के घंटे कम होने की शिकायत दूर हो चुकी है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वर्चुअल हियरिंग को लागू करने की क्षमता ढांचागत मुद्दों पर निर्भर करती है। कुछ उच्च न्यायालयों ने इसे करना शुरू कर दिया है। उच्च न्यायालय धीरे-धीरे उठा रहे हैं, लेकिन यह तुरंत सुनाए गए आदेश से नहीं हो सकता है।