पानीपत
सूचना के अधिकार यानी आरटीआइ से बड़ा राज खुला है। हाईवे पर जिस जगह को अपनी बताकर हरियाणा वक्फ बोर्ड लोगों से किराया वसूलता रहा, वो जगह वक्फ बोर्ड की है ही नहीं। पानीपत में रेलवे रोड और गीता मंदिर रोड के साथ ऐसी 1180 वर्ग गज जमीन का पता चला है। इस पर दुकानें बनी हुई हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता पीपी कपूर ने इस संबंध में सूचना मांगी थी। हालांकि अभी तक अधूरी सूचना ही दी गई है। अब मुख्य सूचना आयुक्त् ने एस्टेट आफिसर को जुर्माने का नोटिस देते हुए पूरी सूचना देने के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही, 24 फरवरी को चंडीगढ़ तलब किया है। वहीं, कपूर ने नगर निगम से मांग की है कि इस जगह को अपने कब्जे में लिया जाए। सरकार के नियम के अनुसार,दुकानदार को रजिस्ट्री कराई जा सकती है।
पीपी कपूर ने बताया कि जीटी रोड पर रेलवे मोड़ और गीता मंदिर रोड के कोने पर खसरा नंबर 3605 की 1180 वर्ग गज कामर्शियल जमीन पर उन्होंने सूचना मांगी थी। इस जमीन को अपना बताते हुए वक्फ बोर्ड ने दो दर्जन दुकानदारों को अलाटमेंट दी हुई है। किराया वसूला जा रहा है। राजस्व रिकॉर्ड में इस भूमि की मलकियत वक्फ बोर्ड के नाम न होकर, गांव शामलात के नाम है । गांव शामलात की भूमि का मालिक नगर निगम होता है। इस फर्जीवाड़े का सच जानने के लिए उन्होंने 19 दिसंबर, 2020 को वक्फ बोर्ड पानीपत में आरटीआइ लगाई थी। खसरा नंबर 3605 तरफ इंसार की भूमि में की गई सभी अलाटमेंट लैटर्स की कापियां व वक्फ बोर्ड के नाम इस भूमि की मलकियत होने का राजस्व रिकार्ड मांगा था। कपूर ने बताया कि पोल खुलने के डर से वक्फ बोर्ड के एस्टेट आफिसर मोइनुद्दीन काजी उन्हें बार बार बहाने बना कर सूचना देने से इन्कार करते रहे। मामला सूचना आयोग पहुंचा तो मुख्य सूचना आयुक्त यशपाल सिंघल ने 26, अगस्त 2021 को आदेश जारी किए। इसके बावजूद एस्टेट आफिसर ने न तो अलाटमेंट लैटर्स की प्रतियां दीं और न ही मलकियत का राजस्व रिकार्ड सुबूत दिया। केंद्र सरकार के एक गजट नोटिफिकेशन की कापी दी, जिस पर लिख दिया कैंसल। इसे कोर्ट में इस्तेमाल नहीं कर सकते। तब उन्होंने राज्य सूचना आयोग में शिकायत की। आयोग ने एस्टेट आफिसर मोइनुद्दीन काजी को शो काज नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है कि आरटीआइ एक्ट के उल्लंघन पर क्यों न जुर्माना लगाया जाए ? साथ ही 15 दिन में समस्त सूचना शिकायतकर्ता को देने व 24 फरवरी को चंडीगढ़ में जवाब सहित पेश हों।