नई दिल्ली
राज्यसभा में शुक्रवार को सभापति एम वेंकैया नायडू द्वारा सदन के अंदर दी गई नसीहत के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध खत्म करने की नए सिरे से कवायद हो सकती है। हालांकि, अभी तक दोनों पक्ष अपने रुख पर अड़े हुए हैं। सरकार चाहती है कि निलंबित सांसद खेद जताएं तो मामला खत्म हो सकता है। जबकि विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है।
वेंकैया नायडू ने चार दलों कांग्रेस, तृणमूल, माकपा तथा भाकपा के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। सोमवार को सदन की कार्यवाही के पहले होने वाली बैठक से ही दोनों पक्षों का रुख सामने आएगा। सभापति नहीं चाहते कि उन्हें हंगामे के दौरान कार्यवाही चलानी पड़े या विधेयक पारित करने पड़ें।
सभापति ने शुक्रवार को इस संबंध में नेता सदन से भी बात की थी। उनकी कुछ विपक्ष के नेताओं से भी बात हुई थी। लेकिन, कोई रास्ता नहीं निकल पाया था। इस संबंध में अतीत के कई उदाहरण देकर उसके आधार पर मामला निपटाने की बात की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि सभापति चाहते हैं कि दोनों पक्ष थोड़ा लचीला रुख अपनाए, जिससे सदन को निर्बाध रूप से चलाया जा सके। सरकार को अपने महत्वपुर्ण विधायी काम भी निपटाने हैं। ऐसे में अगर गतिरोध बना रहा तो शोर शराबे में ही बिल पारित कराने पड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार को कार्यवाही को स्थगित करने से पहले नायडू ने सांसदों के निलंबन को लेकर जारी गतिरोध का हल निकालने के लिए दोनों पक्षों से सार्थक संवाद करने को कहा था। उन्होंने कहा था कि उनका सभी से आग्रह है कि इस मसले पर वे सहमति बनाएं, ताकि सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चल सके।
सूत्रों ने कहा कि विपक्ष सोमवार को एक बार फिर अपनी रणनीति तय करने के लिए बैठक कर सकता है। इसमें सदन के कामकाज को लेकर रुख तय किया जाएगा। कांग्रेस इस मसले पर अन्य दलों के सम्पर्क में बनी हुई है। तृणमूल कांग्रेस का रुख भी काफी आक्रामक है। सदन में उनके सांसद अपनी अलग रणनीति के तहत सरकार को घेर रहे हैं। उधर, संसद के बाहर धरना दे रहे निलंबित सांसद भी पूरे तेवर में हैं। गांधी प्रतिमा के सामने उनके धरने को विपक्ष के नेता लगातार मौके पर पहुंचकर समर्थन दे रहे हैं।