नई दिल्ली
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना कैंप को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। उनकी ओर से अदालत में अर्जी दाखिल की गई थी, जिसमें विधानसभा के नए स्पीकर के चुनाव को चुनौती दी गई थी। अदालत ने इस अर्जी पर ही सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह महाराष्ट्र के विधानसभा स्पीकर को बताएं कि इस याचिका पर फैसले तक वह कोई फैसला न लें। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस अर्जी पर सुनवाई के लिए बेंच का गठन करना होगा। ऐसे में अर्जी को लिस्टेड करने के लिए कुछ वक्त चाहिए। कल इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। भले ही अदालत ने अर्जी को लेकर कोई फैसला नहीं दिया है, लेकिन स्पीकर के फैसले लेने पर रोक लगाकर उद्धव कैंप को फौरी राहत जरूर दी है।
अदालत ने विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को आदेश दिया कि वे एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे कैंप के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर फिलहाल कोई फैसला न लें। उद्धव ठाकरे कैंप का पक्ष रखते हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से मांग की कि विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, 'कृपया स्पीकर को बताएं कि अयोग्यता की अर्जी पर कोई फैसला न लें, जब तक अदालत इस मसले की सुनवाई नहीं कर लेती है। कल इस पर सुनवाई नहीं होगी, लेकिन स्पीकर को इस बारे में बता दें।'
इस दौरान महाराष्ट्र विधानसभा सचिव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बताया कि नियम के अनुसार स्पीकर विधायकों की अयोग्यता की अर्जी पर फैसला ले सकते हैं। सचिव ने कहा कि अब अयोग्यता की कार्रवाई पर फैसला डिप्टी स्पीकर की बजाय स्पीकर राहुल नार्वेकर ही लेंगे। बीते सप्ताह एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया था और उसके बाद उद्धव कैंप के विधायकों के आगे सदस्यता जाने का भी खतरा मंडरा रहा है। एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के चलते उद्धव ठाकरे को पद से इस्तीफा तो देना ही पड़ा है। इसके साथ ही शिवसेना भी दोफाड़ हो गई है और दो तिहाई से ज्यादा विधायक शिंदे के साथ होने के चलते उद्धव खेमा संकट में आ गया है।
उद्धव पर एकनाथ शिंदे का तंज, कुछ लोग सत्ता को मानते हैं अधिकार
शीर्ष अदालत में सुनवाई से पहले एकनाथ शिंदे ने रविवार को भी उद्धव ठाकरे पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था, 'कुछ लोग सोचते हैं कि ले शासन करने को ही पैदा हुए हैं। मैं वह शख्स नहीं हूं, जो सोने का चम्मच लेकर पैदा हुआ हो। उन्हें गर्व होना चाहिए कि एक आम आदमी कुर्सी पर बैठा है। वह रात और सुबह को अर्जियां डाल रहे हैं। लेकिन अदालतें भी जानती हैं कि हमारे पास नंबर हैं और हम सरकार बना सकते हैं। हम कोई अवैध काम नहीं किया है।'