‘जब नागरिक बात करें तो वह भारत की भाषा में हो’ अमित शाह ने दिया हिंदी के उपयोग पर जोर

नई दिल्ली
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर देश में हिंदी भाषा के इस्तेमाल पर जोर दिया है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों के लोगों को आपस में हिंदी में बाद करनी चाहिए, अंग्रेजी में नहीं। इस दौरान उन्होंने स्थानीय भाषाओं की मदद से हिंदी के विस्तार की भी बात की। इससे पहले साल 2019 में शाह ने हिंदी दिवस के दौरान अपने भाषण में 'एक राष्ट्र, एक भाषा'  का जिक्र किया था। शाह ने गुरुवार को संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में भाग लिया। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे हिंदी का महत्व निश्चित तौर पर बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अब राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाने का समय आ गया है।' उन्होंने कहा, 'अन्य भाषा वाले राज्यों के नागरिक जब आपस में संवाद करें तो वो भारत की भाषा में हो।' शाह ने कहा कि हिंदी की स्वीकार्यता स्थानीय भाषाओं के नहीं बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं से शब्दों को स्वीकार कर हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे तब तक इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो पाएगा।
 

शाह राजभाषा समिति के अध्यक्ष भी हैं। गुरुवार को हुई बैठक के दौरान समिति के सदस्यों की सर्वसम्मति से कमेटी की रिपोर्ट के 11वें हिस्से को राष्ट्रपति के पास भेजने को मंजूरी दी। गृहमंत्री ने कहा कि मौजूदा राजभाषा समिति जिस गति से काम कर रही है इससे पहले शायद ही कभी इस गति से काम हुआ हो। उन्होंने कहा कि एक ही समिति के कालखंड में तीन रिपोर्ट का राष्ट्रपति के पास भेजा जाना सबकी एक बड़ी साझा उपलब्धि है।

इस दौरान शाह ने जानकारी दी कि कैबिनेट का 70 फीसदी एजेंडा हिंदी में तैयार होता है। गृहमंत्रालय के अनुसार, उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में 22000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। साथ ही पूर्वोत्तर के 9 आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में कर लिया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के सभी आठों राज्यों ने सहमति से स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य कर दिया है।

साल 2019 में हिंदी दिवस पर दिए पहले भाषण में उन्होंने कहा था, 'भारत अलग-अलग भाषाओं का देश है। हर भाषा की अपनी अहमियत है। लेकिन यह बेहद जरूरी है कि पूरे देश में एक भाषा हो जो राष्ट्र की पहचान बने। अगर कोई भाषा देश को एक सूत्र में बांध सकती है, तो वह सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी भाषा है।' हालांकि, उनके इस बयान पर कई विपक्षी दलों ने नाराजगी जाहिर की थी।